logo-image

वाराणसी के इस गांव में कोरोना काल में महिलाओं ने बनाया समूह, ऑनलाइन बेच रही सब्जियां

कोरोना संक्रमण काल में चारों तरफ रोजगार की किल्लत दिखाई दे रही है ऐसे में वाराणसी की गांव की महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश करते हुए अपना समूह बनाकर आत्मनिर्भर बनने का एक उदाहरण पेश किया है.

Updated on: 06 Jun 2021, 04:56 PM

highlights

  • लमही गांव की महिलाएं सब्जी और फल ऑनलाइन बेच रही हैं
  • मां जानकी महिला समूह के अंतर्गत महिलाओं कर रही काम
  • महिलाएं छोटी सब्जी की खेती करती हैं उनके लिए एक बेहतर मंच है

 

वाराणसी:

कोरोना संक्रमण काल में चारों तरफ रोजगार की किल्लत दिखाई दे रही है ऐसे में महान उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द के लमही गांव की महिलाओं ने कोविड संकट में भी हार नहीं मानी. महिलाओं ने खुद के बुलंद हौसलों को उड़ान दिया. यहां की महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश करते हुए अपना समूह बनाकर आत्मनिर्भर बनने का एक उदाहरण पेश किया है, जिसके तहत खेत में यह महिलाएं सब्जियां उगाते हैं और फिर उन्हें सब्जियों को ऑनलाइन भेजती है जैसा कि बड़ी कंपनियां करती आई है अब गांव के समूह की महिलाएं भी इस तरीके से रोजगार के नए अवसर तलाश रही हैं. दरअसल, कोरोना संक्रमण के आगे वाराणसी के लमही गांव की महिलाओं ने हथियार नहीं डाले बल्कि आत्मनिर्भर बनते हुए रोजगार के नए अवसर तलाश कर ली है.

यह भी पढ़ें : वन नेशन वन राशन कार्ड को लेकर बीजेपी सांसद ने केजरीवाल पर साधा निशाना

गांव की महिलाओं ने अपने खेत में सब्जियों की फसल उगाई

वाराणसी के इस गांव की महिलाओं ने अपने खेत में सब्जियों की फसल उगाई और उसके बाद उसे मां जानकी महिला समूह के अंतर्गत महिलाओं को जोड़कर ऑनलाइन बेच रही है जिससे न सिर्फ उन्हें रोजगार मिल रहा है बल्कि वह आपने आप को आत्मनिर्भर  भी बना रही है संकरण के इस काल में रोजगार के अवसर भले ही कम हुए हैं पर इंसान का हौसला उससे भी ऊपर है इसे दर्शाया है वाराणसी के लमही गांव की महिलायों ने.

यह भी पढ़ें : एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन लगने के बाद एमपी के सागर में ब्लैक फंगस के 27 मरीजों को तबीयत बिगड़ी

लमही गांव की महिलाएं सब्जी और फल ऑनलाइन बेच रही हैं

गांव की ये महिलाएं अपने खेत में किसी तरीके का जैविक खाद का उपयोग नहीं करती हैं बल्कि गाय के गोबर से ही खाद बनाकर खेती करती हैं जिससे शुद्ध और ताजी सब्जियां आम लोगों में दिया जा सके और यही कारण है इनकी डिमांड काफी बढ़ गई है और उन्हें रोजगार के साथ-साथ शुद्ध और पौष्टिक सब्जियां देने के लिए भी जाना जा रहा है.

जो महिलाएं छोटी सब्जी की खेती करती हैं उनके लिए एक बेहतर मंच है. आत्मनिर्भर बनना ही इनका उद्देश्य नहीं बल्कि लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखना, रसोई के बजट का ध्यान रखना और शुद्धता की गारंटी भी इनका मकसद है. ऑनलाइन मांग पर रसोई में उनके मनोनुकुल खाद्य सामग्री और सब्जी पहुंचाई जाएगी. यह काम सिर्फ महिलायें ही करेंगी. यह समूह मिलावट खोरों और काला बाजारी करने वालों को भी चुनौती देगी.