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यूपी में चुनाव से पहले विवादों की शुरुआत, ओवैसी के इस कदम से सियासत गरमाई

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कई राजनीतिक दलों द्वारा बिगुल फूंक देने के बाद अब 'वाद विवाद' वाली पॉलिटिक्स के दौर की शुरुआत हो चुकी है.

Updated on: 10 Jul 2021, 10:20 AM

highlights

  • ओवैसी की 'सजदा पॉलिटिक्स' से बवाल
  • मसूद गाजी की दरगाह पर चढ़ाई चादर
  • असदुद्दीन ओवैसी पर हमलावर हुई बीजेपी

लखनऊ/बहराइच:

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कई राजनीतिक दलों द्वारा बिगुल फूंक देने के बाद अब 'वाद विवाद' वाली पॉलिटिक्स के दौर की शुरुआत हो चुकी है. यूपी में चुनाव से पहले शुरुआत विवाद में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी फंसे हैं. उत्तर प्रदेश के सियासी मैदान में ताल ठोंकने वाले असदुद्दीन ओवैसी की सजदा पॉलिटिक्स ने सूबे की राजनीति में गर्माहट को बढ़ा दिया है. ओवैसी ने शुक्रवार को मध्यकालीन गजनविद जनरल गाजी सैय्यद सालार मसूद उर्फ गाजी मियां की दरगाह शरीफ में चादर चढ़ाई, मगर राजा सुहेलदेव के स्मारक की अनदेखी कर दी तो उस पर विवाद खड़ा हो गया. अब सालार मसूद गाजी की दरगाह पर सजदा को लेकर ओवैसी पर बीजेपी हमलावर तो साथ में ओपी राजभर भी निशाने पर आ गए हैं.

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दरअसल, यूपी में अपने मिशन में जुट चुके असदुद्दीन ओवैसी ने बहराइच में अपनी पार्टी के कार्यालय का उद्घाटन किया. ओवैसी ने अपनी यात्रा के दौरान गुरुवार शाम को दरगाह का दौरा किया. मगर विवाद तब शुरू हुआ जब ओवैसी ने सैय्यद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर चादर चढ़ाई, मगर राजा सुहेलदेव को भुला दिया. ओवैसी के साथ सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर भी थे. ओवैसी और राजभर द्वारा सुहेलदेव की अनदेखी में बीजेपी को वोटबैंक दिखा तो पार्टी ने इसे मसले को लगे हाथों लेते हुए हवा दे दी.

बीजेपी ने सालार मसूद गाजी की दरगाह पर सजदा को लेकर हमला बोल दिया. बीजेपी ने आरोप लगाए कि ओवैसी ने भारत पर आक्रमण करने वाले महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद गाजी की दरगाह पर सजदा किया. बीजेपी कह रही है कि ओवैसी की दरगाह की यात्रा महाराजा सुहेलदेव का अपमान है, जो 11वीं सदी के शासक थे. उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 1034 ईस्वी में बहराइच में एक युद्ध में मसूद को हराकर मार डाला था. ओम प्रकाश राजभर की पार्टी महाराजा सुहेलदेव के नाम पर है. वे खुद को सुहेलदेव का पुजारी कहते हैं. ऐसे में राजभर के ओवैसी के साथ मौजूदगी को लेकर बीजेपी उन पर भी हमला बोल रही है.

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यूपी सरकार में मंत्री अनिल राजभर कहते हैं कि बहराइच की धरती पर एक महापुरुष और देशभक्त का अपमान हुआ है. राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ने देश की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ने का काम किया था. आज उनका अपमान ओवैसी और ओमप्रकाश राजभर जैसे लोगों ने किया है. उन्होंने कहा, भागीदारी संकल्प मोर्चा के नेताओं ने महाराजा सुहेलदेव को सम्मान देने वाले हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. हालांकि पलटवार के तौर पर ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि बीजेपी नेता महाराजा सुहेलदेव और सालार मसूद के मुद्दे पर एआईएमआईएम और एसबीएसपी के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे थे, क्योंकि उन्हें डर था कि ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) मतदाता विधानसभा चुनाव में बीजेपी का समर्थन नहीं करेंगे.

राजभर समुदाय का राजनीतिक समीकरण

ओवैसी की सजदा पॉलिटिक्स को हानि-लाभ के तराजू में तौलने पर राजभर समुदाय की तस्वीर निकलकर समने आती है. मसलन, अब ऐसे में उत्तर प्रदेश में राजभर समुदाय के राजनीतिक समीकरण को समझना जरूरी है. आपको बता दें कि यूपी में लगभग 3 फ़ीसदी आबादी है इस समुदाय की, मगर पूर्वांचल में यह आबादी लगभग 12 से 22 फीसदी है. गाजीपुर, मऊ, बलिया, देवरिया, चंदौली, लालगंज, आजमगढ़, मछली शहर, अंबेडकर नगर, जौनपुर, मिर्जापुर, वाराणसी और भदोही जैसे जिलों में यह समुदाय अच्छी खासी आबादी है, जो राज्य के करीब 50 विधानसभा सीटों पर प्रभाव बनाती है. ओपी राजभर की राजभर समुदाय पर अच्छी पकड़ हैं. ऐसे में ओवैसी के साथ ओपी राजभर को घेरने का अच्छा मौका बीजेपी को मिला है.