कभी बच्चे से कार धुलवाई, अब स्कूल में करवा रहे हैं मजदूरी, उत्तराखंड के सरकारी स्कूल से सामने आया ये वीडियो

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि बच्चों से मजदूरी करवाया जा रहा है. इस वीडियो के सामने आने के बाद लोगों ने गुस्सा जाहिर की है.

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि बच्चों से मजदूरी करवाया जा रहा है. इस वीडियो के सामने आने के बाद लोगों ने गुस्सा जाहिर की है.

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Ravi Prashant
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वायरल वीडियो Photograph: (X)

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति एक बार फिर सुर्खियों में है. राज्य में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाने वाला एक और चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है. देहरादून के बंजारावाला स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें छोटे-छोटे बच्चों को कक्षा में पढ़ने की जगह गिट्टी ढोते और मजदूरी जैसे काम करते देखा जा सकता है.

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बच्चे से कराया जा रहा है काम

वीडियो में बच्चे सिर पर तसले उठाकर स्कूल परिसर में निर्माण कार्य के दौरान गिट्टी और रेत ढोते नजर आ रहे हैं. ये वही बच्चे हैं जिन्हें स्कूल में पढ़ाई, किताबें और सपनों की उड़ान मिलनी चाहिए थी, लेकिन हालात ऐसे हैं कि उनसे बाल मजदूरों की तरह काम कराया जा रहा है.

पहले भी सामने आ चुकी हैं शर्मनाक तस्वीरें

यह कोई पहला मामला नहीं है जब उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की लापरवाही उजागर हुई हो. कुछ दिन पहले चमोली जिले के थराली ब्लॉक के गोठिंडा गांव से एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक शिक्षक बच्चों से अपनी कार धुलवा रहा था. उस घटना ने भी पूरे राज्य में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए थे. अब देहरादून की घटना ने एक बार फिर दिखा दिया है कि शिक्षा विभाग के दावे और जमीनी हकीकत में भारी अंतर है. 

शिक्षा के अधिकार पर चोट

इन वीडियो ने साफ कर दिया है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब और हाशिए पर खड़े परिवारों के बच्चों को शिक्षा का अधिकार तो मिला है, पर सम्मान और समान अवसर आज भी उनसे कोसों दूर हैं. बच्चों से मजदूरी करवाना न केवल शिक्षा के अधिकार कानून (RTE) का उल्लंघन है, बल्कि यह बाल अधिकारों का सीधा हनन भी है. 

प्रशासन और जनता में रोष

वीडियो सामने आने के बाद स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया यूजर्स में गुस्सा है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर ऐसे शिक्षक और अधिकारियों पर कार्रवाई कब होगी, जो शिक्षा जैसी पवित्र व्यवस्था को मजाक बना रहे हैं. शिक्षा विभाग ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन सवाल ये है कि ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों दोहराई जाती हैं और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को क्यों नहीं सख्त सजा मिलती.

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