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बलिया में ब्लैक फंगस की दस्तक, पहली मौत से हड़कंप

बलिया में ब्लैक फंगस की दस्तक हुई. यहां पर ब्लैक फंगस से पहली मौत से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है. दरअसल, टाउन डिग्री कालेज बलिया में क्लर्क के पद पर तैनात संजय गहलोत की ब्लैक फंगस से मौत हो गई है.

Updated on: 25 May 2021, 09:53 PM

highlights

  • बलिया में ब्लैक फंगस की दस्तक हुई. यहां पर ब्लैक फंगस से पहली मौत
  • पूर्वांचल के मऊ इलाके में व्हाइट फंगस के केस मिलने से लोगों में चिंता
  • ब्लैक और व्हाइट फंगस का इलाज मौजूद , लेकिन सर्तकता जरूरी : विशेषज्ञ

बलिया:

बलिया में ब्लैक फंगस ( Black fungus ) की दस्तक हुई. यहां पर ब्लैक फंगस से पहली मौत से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है. दरअसल, टाउन डिग्री कालेज बलिया में क्लर्क के पद पर तैनात संजय गहलोत की ब्लैक फंगस ( Black fungus ) से मौत हो गई है. उनका बीएचयू (BHU) वाराणसी में इलाज के दौरान दम तोड़ा दिया. 5 दिन पहले गंभीर हालात में भर्ती कराया गया था. वह बहुत दिन पहले संजय गहलोत संक्रमित हुए थे. कोरोना की जंग वह जीत चुके थे. संजय गहलोत की तबियत बाई आँख संक्रमित होने पर बिगड़ी थी. मंगलावर सुबह बीएचयू (BHU) वाराणसी में आखरी सांस ली. मृतक संजय गहलोत नगर पंचायत मनियर के निवासी से थे. बता दें कि ब्लैक फंगस बीमारी को उत्तर प्रदेश सरकार ने महामारी घोषित किया हुआ है.

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ब्लैक और व्हाइट फंगस का इलाज मौजूद , लेकिन सर्तकता जरूरी : विशेषज्ञ

कोरोना संक्रमण के बीच ब्लैक और व्हाइट फंगस की दस्तक लोगों को बेचैन कर रही है. इस बीमारी से आम लोग परेशानी और चिंता में आ गये हैं. डाक्टरों की मानें तो ब्लैक फंगस दिल, नाक और आंख को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. फेफड़ों पर भी इसका असर है. जबकि व्हाइट फंगस फेफड़ों को इसके मुकाबले ज्यादा नुकसान देता है. हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्लैक और व्हाइट फंगस का इलाज पूरी तरह से मौजूद है. बस इसमें सर्तक रहने की जरूरत है.

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पूर्वांचल के मऊ इलाके में व्हाइट फंगस के केस मिलने से लोगों में चिंता

पूर्वांचल के मऊ इलाके में व्हाइट फंगस के केस मिलने से लोगों में चिंता है. इसे लेकर हर जगह के स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया गया है. यह कोरोना से मिलते-जुलते लक्षणों के वाली बीमारी बताई जा रही है. व्हाइट फंगस फेफड़ों को संक्रमित कर उसे डैमेज कर देता है और सांस फूलने की वजह से मरीज कोरोना की जांच कराता रह जाता है. छाती की एचआरसीटी और बलगम के कल्चर से इस बीमारी का पता चलता है.