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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तमाम अंतरिम आदेश 31 मई तक के लिए बढ़ा दिए

कोर्ट ने प्रदेश सरकार, नगर निकाय, स्थानीय निकाय, सरकारी एजेंसी, विभाग आदि द्वारा बेदखली, खाली कराने व ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर 31 मई तक रोक लगा दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल दर्ज किए गए एक स्वतः संज्ञान मामले को फिर से उठाते हुए ये फैसला लिया.

Updated on: 24 Apr 2021, 06:23 PM

highlights

  • तमाम अंतरिम आदेश 31 मई तक के लिए बढ़ाए गए.
  • बैक वसूली, बेदखली व ध्वस्तीकरण पर भी अदालत ने लगाई रोक. 
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग कर जारी किया आदेश.

नई दिल्ली:

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने हाईकोर्ट व प्रदेश की जिला अदालतों, परिवार न्यायालयों, श्रम अदालतों, औद्योगिक अधिकरणों, सभी न्यायिक, अर्द्धन्यायिक संस्थाओं के सभी अंतरिम आदेश (interim orders) 31 मई तक बढ़ा दिए हैं. अग्रिम जमानत, जमानत आदेश जो समाप्त हो रहे हैं वे भी 31मई तक जारी रहेंगे. कोर्ट ने प्रदेश सरकार, नगर निकाय, स्थानीय निकाय, सरकारी एजेंसी, विभाग आदि द्वारा बेदखली, खाली कराने व ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर 31 मई तक रोक लगा दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल दर्ज किए गए एक स्वतः संज्ञान मामले को फिर से उठाते हुए ये फैसला लिया है.

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हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल दर्ज किए गए एक स्वतः संज्ञान मामले को फिर से उठाते हुए शनिवार को राज्य के विभिन्न न्यायालयों और न्यायाधिकरणों द्वारा 15 मार्च, 2021 तक पारित सभी अंतरिम आदेशों की अवधि को 31 मई, 2021 तक बढ़ा दिया है. हाल ही में उत्तर प्रदेश राज्य में COVID-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर आदेश पारित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप सभी स्तरों पर अदालतें कम क्षमता के साथ काम कर रही हैं.

क्रिमिनल केसेस में भी लागू होगा ये आदेश

हाईकोर्ट ने कहा कि क्रिमिनल केसेस की सुनवाई कर रही अदालतों से जारी जमानत और अग्रिम जमानत के आदेश भी 31 मई तक प्रभावी रहेंगें. इसके अलावा सरकार, स्थानीय निकाय व प्राधिकरणों द्वारा जारी किये गए डिमोलिशन या बेदखली के आदेश पर 31 मई तक रोक रहेगी.

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31 तक बैंक वसूली पर रोक

कोर्ट ने सभी बैंकों, वित्तीय संस्थाओं को संपत्ति या व्यक्ति के खिलाफ 31 मई तक उत्पीड़नात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यदि किसी को दिक्कत हो तो वह सक्षम अदालत, अधिकरण में अर्जी दे सकता है. जिसका निस्तारण किया जायेगा. यह सामान्य आदेश अर्जी निस्तारण में बाधक नहीं होगा. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस प्रकाश पाडिया की डिवीजन बेंच ने यह आदेश दिया है.