स्वामी प्रसाद मौर्य कुशीनगर के फाजिलनगर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद वह भाजपा छोड़ सपा में शामिल हो गए थे. मौर्य उस समय योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में मंत्री थे. मौर्य ने पांच साल तक सत्ता सुख लिया और चुनाव के समय भाजपा पर पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यक समुदाय की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए भाजपा छोड़ दिया. भाजपा के शीर्ष नेता उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानें. स्वामी प्रसाद मौर्य पहले बहुजन समाज पार्टी में थे. 2017 में वह बसपा सुप्रीमो मायावती पर आरोप लगाते हुए भाजपा में शामिल हो गए थे. लेकिन पांच साल के अंदर ही उनका भाजपा से भी मोहभंग हो गया.
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2017 में वह कुशीनगर के पडरौना विधानसभा सीट से चुने गए थे. लेकिन इस बार वह कुशीनगर जिने की ही फाजिलनगर विधानसभा से सपा के प्रत्याशी हैं. भाजपा और बसपा ने उन्हें उनके विधानसभा में घेरने की कोशिश की है. मौर्य के उम्मीदवार बनने से सपा का स्थानीय संगठन उनके विरोध में है. ऐसे में सपा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद मौर्य को हर हाल में जिताना चाहते है.
फाजिलनगर में स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि, "वे परेशान हैं. वे उस दिन को याद नहीं कर सकते जब स्वामी प्रसाद मौर्य हमारे साथ शामिल हुए थे. मैं 2011 से इंतजार कर रहा था. अगर वह बसपा छोड़ने के बाद हमारे साथ शामिल होते, तो हमें 5 साल के लिए बुरे दिन देखने की जरूरत नहीं होती. 2017 में हमारे साथ आए होते तो यूपी आज आगे होता."