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अखिलेश यादव का यूपी सरकार पर हमला, कहा गलत नीतियों से शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था

गरीब परिवारों के बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं है, तमाम स्थानों खासकर देहातों में नेटवर्क की समस्या बनी रहती है. ऑनलाइन पढ़ाई सिर्फ सम्पन्न परिवारों के लिए हो रही है.

Updated on: 11 Jul 2020, 06:27 PM

लखनऊ:

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था फैल रही है. अखिलेश ने एक बयान में कहा, स्कूल-कॉलेज कोरोना संकट के कारण बंद हैं. ऑनलाइन पढ़ाई पटरी पर नहीं आ पाई है. गरीब परिवारों के बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं है, तमाम स्थानों खासकर देहातों में नेटवर्क की समस्या बनी रहती है. ऑनलाइन पढ़ाई सिर्फ सम्पन्न परिवारों के लिए हो रही है. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्रों के साथ भी सरकार का सौतेल व्यवहार हो रहा है.

पूर्व मुख्यमंत्री इतने पर ही चुप नहीं हुए उन्होंने प्रदेश सरकार पर हमला जारी रखते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने स्कूल-कॉलेज तो बंद करा दिए, लेकिन उनमें कार्यरत शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों की जिन्दगी कैसे चलेगी, इसकी चिंता नहीं की. विद्यालय प्रबन्धन पर विद्यालय बंदी के समय की फीस भी न लेने का दबाव बना. ऐसी स्थिति में जो अभिभावक फीस देने में सक्षम थे, वे भी फीस नहीं जमा कर रहे हैं. नतीजतन 10 लाख से ज्यादा निजी कॉलेजों के शिक्षक वेतन के अभाव में भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.

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निजी स्कूलों के शिक्षकों को नहीं मिल पा रहा है वेतन
अखिलेश ने कहा कि स्थिति यह है कि कुछ निजी विद्यालयों ने मार्च-अप्रैल का वेतन दे दिया, आगे वेतन देने से हाथ रोक लिए है, वहीं कई विद्यालयों के शिक्षकों को मार्च का वेतन भी नहीं मिला है. जो अपने शिक्षण कार्य से आजीविका चला रहे थे, उनके सामने गम्भीर संकट पैदा हो गया है. बेकारी और भूख से बहुत से शिक्षक अवसादग्रस्त हो गए हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियां चूंकि कॉरपोरेट व्यवस्था से जुड़ी है.

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समाज के कमजोर वर्ग के लोगों पर नहीं है सरकार का ध्यान
भारतीय जनता पार्टी में गरीबों, दलितों, कमजोर वर्ग के प्रति उनमें न तो सदाशयता है और नहीं संवेदनशीलता. प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का एजेंडा ही भाजपा सरकार चला रही है. उसका सारा जोर सर्व सुविधा सम्पन्न छात्र-छात्राओं के लिए कॉरपोरेट घरानों के प्रबन्धन के स्कूल-कॉलेजों को प्रोत्साहन देने का है. भेदभाव से शिक्षा में असमानता और बढ़ेगी.