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ताजमहल के पास का ये हाल, आग लग जाए तो बुझाने के इंतजाम हो चुके कबाड़

लखनऊ में लेवाना होटल में हुए अग्निकांड में चार लोगों की मौत ने होटलों में सुरक्षा उपायों की कलई खोलकर रख दी है. इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में फायर विभाग अलर्ट मोड़ पर आ गया.

Updated on: 07 Sep 2022, 01:37 PM

नई दिल्ली:

लखनऊ में लेवाना होटल में हुए अग्निकांड में चार लोगों की मौत ने होटलों में सुरक्षा उपायों की कलई खोलकर रख दी है. इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में फायर विभाग अलर्ट मोड़ पर आ गया. ऐसे में हमारी टीम ने भी पर्यटन नगरी आगरा में एक रियल्टी चैक किया और जानने की कोशिश की अगर ताजमहल के आसपास कंही आग लग जाये तो आगा बुझाने के क्या साधन हैं. सच्चाई चौकाने वाली थी. जरा आप भी देखिये क्या है हकीकत.

समाजवादी पार्टी सरकार में ताजगंज में करीब 197 करोड़ रुपये की लागत से ताजगंज प्रोजेक्ट में काम कराया गया था। इसमें स्मारक को जाने वाले रास्तों को सुंदर बनाने के साथ ही पर्यटकों के लिए सुविधा को पाथवे बनाए गए थे. बेंच लगाई गई थीं. पर्यटकों की सुरक्षा के लिए भी कई काम किए गए थे. सीसीटीवी कैमरे, बैरियर पर इलेक्ट्रिक बोलार्ड व बैरियर लगाए गए थे. इसके साथ ही शिलपग्राम से लेकर ताजगंत होते हुए अमरूद का टीला पार्किंग तक फायर हाईड्रेंट सिस्टम लगाए गए थे. इसके साथ ही होटल अमर विलास के नजदीक फायर हाईड्रेंट प्वाइंट के लिए अंडरग्राउंड टैंक बनाया गया था. यहां सबमर्सिबल लगाया गया था. इसका उद्देश्य यह था कि अगर ताजमहल के नजदीक कभी आगजनी होती है तो फायर हाईड्रेंट प्वाइंट की सहायता से उस पर काबू पाया जा सकेगा. इनका उपयोग आज तक नहीं हो सका है. आगजनी की स्थिति में फायर ब्रिगेड को आग बुझाने पहुंचना पड़ा है. वर्तमान में फायर हाईड्रेंट प्वाइंट के बाक्स टूट गए हैं। उनके अंदर पाइप ही नहीं है, जिससे आगजनी की स्थिति में उनका इस्तेमाल संभव ही नहीं है.

आगरा के इस क्षेत्र की बात की जाए तो यह सबसे वीआईपी क्षेत्रों में गिना जाता है क्षेत्र में छोटे-बड़े तमाम होटल है. ताजमहल यंहा से महज 500 मीटर की दूरी पर है. इसके बाबजूद तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि आग बुझाने वाले साधन इस समय खुद प्यासे नजर आ रहे हैं उनकी देखे करने वाला कोई नहीं, न्यूज़ स्टेट / न्यूज़ नेशन से खास बातचीत करते हुए होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान का कहना था कि करोड़ों रुपए लगाकर इन फायर हाइड्रेंट को तैयार किया गया था. तब से लेकर आज तक इनका कभी इस्तेमाल ही नहीं हो पाया. आज ये धूल फांकते नजर आ रहे हैं और कबाड़ हो चुके हैं. ऐसे में अगर कोई बड़ा हादसा होता है तो कौन इसका जिम्मेदार होगा.