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Karnataka Polls: Hijab Row से उभरे यशपाल को टिकट, 3 बार के MLA का कटा पत्ता

Yashpal Suvarna get party ticket from Udupi Assembly constituency : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 189 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है. तमाम अन्य नामों के बीच एक नाम जो चौंकाने वाला है, वो है कर्नाटक हिजाब विवाद के केंद्र में रहे यशपाल आनंद सुवर्णा का नाम. यशपाल आनंद सुवर्णा को संवेदनशील मानी जाने वाली उडुपी विधानसभा सीट...

Updated on: 12 Apr 2023, 06:12 PM

highlights

  • कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हिजाब विवाद को भी मिली जगह!
  • हिजाब विवाद में अहम भूमिका निभाने वाले को पार्टी ने किया पुरस्कृत?
  • तीन बार से मौजूदा ब्राह्मण विधायक का काटा टिकट, ओबीसी को टिकट

नई दिल्ली:

Yashpal Suvarna get party ticket from Udupi Assembly constituency : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 189 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है. तमाम अन्य नामों के बीच एक नाम जो चौंकाने वाला है, वो है कर्नाटक हिजाब विवाद के केंद्र में रहे यशपाल आनंद सुवर्णा का नाम. यशपाल आनंद सुवर्णा को संवेदनशील मानी जाने वाली उडुपी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. यशपाल को टिकट तीन बार के विधायक का टिकट काटकर दिया गया है, जोकि हमेशा से राज्य में बीजेपी के मजबूत चेहरों में गिने जाते रहे हैं. तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद उडूपी के किले को अब तक उन्हीं रघपति भट ( Sitting BJP MLA Raghpathi Bhat ) ने अभेद्य रखा था, लेकिन अब उनकी जगह यशपाल आनंद सुवर्णा को बीजेपी ने टिकट दे दिया है. 

कौन हैं यशपाल आनंद सुवर्णा?

यशपाल आनंद सुवर्णा बीजेपी के ओबीसी मोर्चे के राष्ट्रीय महामंत्री (  ) हैं. वो कर्नाटक के मोगावीरा समाज से आते हैं, जो ओबीसी कैटिगिरी में है. उनकी सबसे ज्यादा पहचान बनी थी कर्नाटक के हिजाब विवाद से, जिसमें वो केंद्र में थे. यशपाल सुवर्णा उडूपी के उसी गवर्नमेंट पीयू गर्ल्स कॉलेज के विकास कमेटी ( Development Committee of Udupi Government PU Girls College ) के उप प्रमुख हैं, जहां से हिजाब विवाद खड़ा हुआ था. 

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बीजेपी ने दिया ईनाम?

बीजेपी इस सीट से मजबूत ओबीसी चेहरे की तलाश में थी. चूंकि सुवर्णा की पहचान हिंदू वादी नेता की है. साथ ही वो ओबीसी मोर्चे के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी हैं. इसके अलावा वो लगातार हिंदुत्ववादी मुद्दों पर मुखर भी रहे हैं. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी का उन पर दांव खेलना कोई खराब रणनीति नहीं कही जाएगी. लेकिन भारतीय जनता पार्टी को अब चाहिए कि वो रघपति भट जैसे जमीनी कार्यकर्ताओं, नेताओं का भी ध्यान रखे.