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Karnataka Reservation Protest: आरक्षण को लेकर बीएस येदियुरप्पा के आवास के बाहर पत्थरबाजी, पुलिस ने लिया एक्शन

शिमोगा जिले में आरक्षण के मुद्दे को लेकर सोमवार को भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के आवास के बाहर प्रदर्शन किया गया.

Updated on: 27 Mar 2023, 04:39 PM

नई दिल्ली:

Karnataka Reservation Protest: कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण का मुद्दा जोरों पर है. राज्य के शिमोगा जिले में आरक्षण के मुद्दे को लेकर सोमवार को भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के आवास के बाहर प्रदर्शन किया गया. जानकारी के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री के घर के बाहर पत्थरबाजी भी की गई है. हालांकि, पुलिस ने बंजारा समुदाय के सैकड़ों प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की. भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया, जिसमें कई लोग घायल हो गए. वहीं, एक पुलिसकर्मी के घायल होने की भी खबर है.  बंजारा समुदाय का कहना है कि आरक्षण खत्म होने से उन्हें उसका नुकसान उठाना पड़ेगा. दरअसल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने पिछले हफ्ता शुक्रवार (24 मार्च) को 4 फीसदी मुस्लिम आरक्षण को खत्म करने का फैसला किया है.

बोम्मई कैबिनेट ने मुस्लिम आरक्षण कोटा को  खत्म कर उसे वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय में दिया है.  उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के तहत लाया जाएगा.कैबिनेट में नए बदलाव के साथ ही अल्पसंख्यकों को ईडब्ल्यूएस कोटे में शामिल किया गया है. जिसमें पहले से ब्राह्मण, मुदलियार, जैन, वैश्य समेत कई अन्य सामाज शामिल हैं. 

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कर्नाटक में आरक्षण का कोटा 56 फीसदी हुआ

बोम्मई सरकार ने आरक्षण कोटा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 56 फीसदी कर दिया है. नए फेरबदल के बाद मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों का आरक्षण तत्काल प्रभाव खत्म कर दिया गया है. इन्हें बिना किसी शर्त के बदलाव के ईडब्ल्यूएस श्रेणी में जोड़ा गया है. 

राज्य सरकार ने केंद्र से की सिफारिश
दरअसल, कर्नाटक में बीजेपी सरकार ने केंद्र को शिक्षा और नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण के एक नए नियम लागू की सिफारिश की है. इसमें एससी समुदाय के लिए 17 प्रतिशत आरक्षण में से 6 प्रतिशत अनुसूचित जाति (लेफ्ट), 5.5 प्रतिशत अनुसूचित जाति (राइट), 4.5 प्रतिशत "छूत" के लिए और एक प्रतिशत अन्य के लिए आरक्षण की व्यवस्था है.  ये फैसला 2005 में कांग्रेस-जनता दल (सेक्युलर) की ओर से गठित एजे सदाशिव आयोग की एक रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है. बंजारा समुदाय राज्य सरकारी की नई नीति का विरोध कर रही है.