राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा कर्नाटक : नारायण

कर्नाटक नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति करने लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा. राज्य के उप मुख्यमंत्री तथा उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर सी एन अश्वत्थ नारायण ने सोमवार को यह बात कही.

कर्नाटक नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति करने लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा. राज्य के उप मुख्यमंत्री तथा उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर सी एन अश्वत्थ नारायण ने सोमवार को यह बात कही.

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

कर्नाटक नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति करने लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा. राज्य के उप मुख्यमंत्री तथा उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर सी एन अश्वत्थ नारायण ने सोमवार को यह बात कही. नारायण ने ''राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विशेषताएं एवं कार्यान्वयन'' विषय पर आयोजित पांच दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा,''राज्य सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिये आवश्यक प्रशासनिक सुधारों और कानूनों में संशोधन को लेकर सभी तैयारियां कर रही है. कर्नाटक नयी शिक्षा नीति लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा.

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सरकार स्पष्ट एजेंडा और विशिष्ट लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही

इस कार्यशाला का आयोजन बेंगलूर विश्वविद्यालय ने किया था. उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार स्पष्ट एजेंडा और विशिष्ट लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है.  वहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में हिंदी समेत 3 भाषाओं का प्रस्ताव रखे जाने का महाराष्ट्र में विरोध शुरू हो गया था. अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रवक्ता ने रविवार को ट्वीट करके कहा था कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है इसलिए जबरन इसे हमपर थोपा न जाए. इससे पहले नई शिक्षा नीति का तमिलनाडु में भी विरोध हुआ. द्रमुक नेता एमके स्टालिन ने इस फैसले को लेकर कहा कि यह देश को बांटने वाली नीति है.

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हिंदी जबरन हम पर थोपी नहीं जा सकती

तमिलनाडु में कई राजनीतिक दलों ने इस ड्राफ्ट का विरोध करते हुए कहा है कि हिंदी जबरन हम पर थोपी नहीं जा सकती. द्रमुक नेता एमके स्टालिन ने कहा कि प्री स्कूल से 12वीं तक हिंदी पढ़ाए जाने का प्रस्ताव चौंकाने वाला है. इससे देश का विभाजन हो जाएगा. 1968 से राज्य में केवल दो भाषाओं के फॉर्मूले पर शिक्षा नीति चल रही है. तमिलनाडु में केवल तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है. हिंदी को जबरन नहीं थोपना हम स्वीकार नहीं करेंगे.

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