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इस राज्य में कोरोना से भयावह हालात, अस्पतालों में बेड्स न मिलने पर घरों में ही मर रहे मरीज

कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से अब कर्नाटक में भयावह हालात बन गए हैं. आलम यह है कि अस्पतालों में मरीजों को बेड्स न मिलने की वजह से अब वह घरों पर ही दम तोड़ रहे हैं.

Updated on: 16 May 2021, 02:39 PM

highlights

  • कोरोना से कर्नाटक में भयावह हालात
  • मरीजों को अस्पतालों में नहीं मिल रहे बेड
  • बेड्स न मिलने पर घर पर मरीजों की मौत

बेंगलुरु :

कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से अब कर्नाटक में भयावह हालात बन गए हैं. आलम यह है कि अस्पतालों में मरीजों को बेड्स न मिलने की वजह से अब वह घरों पर ही दम तोड़ रहे हैं. कोविड प्रबंधन पर सरकार को सुझाव देने के लिए गठित तकनीकी सलाहकार समिति से जुड़े डॉक्टर गिरिधर राव ने कहा कि कोविड -19 महामारी के बीच कर्नाटक सरकार से सही मौत का डेटा प्राप्त करना मुश्किल है, क्योंकि अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन की कमी के कारण बहुत से लोग घर पर मर रहे हैं या वे कोविड का परीक्षण नहीं करवा पा रहे हैं.

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डॉक्टर गिरिधर राव ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि गोम में मरने वाले COVID रोगियों को राज्य द्वारा प्रबंधित डेटाबेस में एक कोविड रोगी के रूप में जगह नहीं मिलती है. स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन और सरकारी आंकड़ों में दिखाई गई मौतों को देखते हुए ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने अस्पताल में बिस्तर नहीं मिलने के कारण या इमरजेंसी में एंबुलेंस न मिलने पर अपनी जान गंवा दी. समय पर इलाज न मिलने पर कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों समेत 500 से अधिक मरीजों की उनके स्थान पर ही मौत हो गई. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, केवल एक महीने में कर्नाटक में 595 से अधिक मौतें हुई हैं. मगर बिस्तरों की अनुपलब्धता या समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने के कारण कई COVID-19 रोगियों की घर पर ही मृत्यु हो गई.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मौतों की संख्या को देखते हुए होम आइसोलेटेड मरीजों की मौत के आंकड़े चिंताजनक हैं. उन्होंने बताया कि रोगी की ऑक्सीजन की खराब निगरानी, अस्पताल पहुंचने में देरी, अस्पताल पहुंचने से पहले स्वास्थ्य की स्थिति में अचानक बदलाव आदि कई कारण हो सकते हैं. डॉक्टर गिरिधर राव ने एएनआई को बताया कि अस्पताल में अन्य सुविधाओं के बीच बिस्तर मिलने से पहले कुछ मरीजों की मौत हो गई. हालांकि, इस समय पर्याप्त संख्या में एम्बुलेंस उपलब्ध हैं, लेकिन बेड की कमी के कारण मरीजों को भर्ती नहीं किया जा सकता है. इस दूसरे चरण में चिंता का मुख्य बिंदु यह है कि कई रोगी होम आइसोलेशन के दौरान घर पर अपनी जान गंवा रहे हैं, जिसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हमें उचित निगरानी, कॉल सुझावों पर, समय पर उपचार, ऑक्सीजन की आपूर्ति, रोगियों को अस्पताल ले जाने की आवश्यकता है. उनके लिए उचित दवा मिले- तभी COVID रोगियों में होने वाली मौतों को टाला जा सकता है.

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वहीं डॉक्टर मजीद, जो एक पल्मोनोलॉजिस्ट और फेफड़े के विशेषज्ञ हैं, उन्होंने एएनआई को बताया, 'केवल सामूहिक टीकाकरण ही उन लोगों को बचा सकता है, जो होम आइसोलेशन में मर रहे हैं. इसके पीछे एक कारण है, जब मरीज अस्पतालों की तलाश में इधर-उधर घूमते हैं तो संक्रमण का स्तर बढ़ जाता है. मैंने खुद कोशिश की. होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के लिए बिस्तर और ऑक्सीजन की आपूर्ति करना मुश्किल है. यह भयावह है कि कई लोगों ने होम आइसोलेशन में दम तोड़ दिया है.' मजीद ने कहा, 'कई लोग तब तक खुलासा नहीं करते जब तक कि स्थिति गंभीर नहीं हो जाती, जब तक उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, संतृप्ति स्तर नीचे नहीं आ जाता है.' डॉक्टर ने कहा, 'इस समय किसी भी सरकार या अधिकारियों को दोष नहीं दिया जा सकता है. एकमात्र विकल्प सामूहिक टीकाकरण है, जो इन लोगों की जान बचा सकता है.'