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चेन्नई : रेमडेसिविर के लिए दिन भर कतार में रहने के बाद लोग खाली हाथ लौटे

लंबी कतार में खड़े कई लोगों को शुक्रवार को रेमडेसिविर का इंतजार था, लेकिन इन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा.

Updated on: 01 May 2021, 07:22 PM

highlights

  • कतार में खड़े कई लोगों को शुक्रवार को रेमडेसिविर का इंतजार था
  • शुक्रवार को पूरे दिन कतार में खड़े होने के बावजूद उन्हें दवाई नहीं मिल पाई

चेन्नई:

देश में लगातार नए कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. बीते शुक्रवार को पहली बार 4 लाख से ज्यादा नए मरीज दर्ज किए गए हैं. ऐसे में सरकार वैक्सीन मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाने की कोशिशों में है. बीते हफ्ते सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक को 4500 करोड़ रुपए का एडवांस देने का फैसला किया है. वही चेन्नई के किलपॉक मेडिकल कॉलेज में सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक लंबी कतार में खड़े कई लोगों को शुक्रवार को रेमडेसिविर का इंतजार था, लेकिन इन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा. किलपॉक मेडिकल कॉलेज प्रत्येक दिन शाम पांच बजे बंद हो जाता है. यहां लोगों और अस्पताल कर्मचारियों के बीच तीखी बहस भी होती रहती है. किलपॉक मेडिकल कॉलेज के सामने लंबी कतारें सुबह 5 बजे शुरू होती हैं, लेकिन दोनों काउंटर केवल सुबह 9 बजे खुलते हैं और रोजाना लगभग 500 लोगों को दवाइयां दी जाती हैं, हालांकि 2,500 से ज्यादा लोग दवा के लिए काउंटरों पर पहुंचते हैं. एम सेल्वसुब्रमण्यम, 49, जो तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले के हैं, सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक कतार में खड़े थे. शुक्रवार को पूरे दिन कतार में खड़े होने के बावजूद उन्हें दवाई नहीं मिल पाई, जिससे वह निराश हो गए.

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आईएएनएस से बात करते हुए, वे कहते हैं, "मैं सुबह से शाम तक खड़ा था, लेकिन खाली हाथ लौटना पड़ा. चेन्नई में एक वालंटियर संगठन ने मुझे बताया है कि वे स्वयंसेवकों को कतार में खड़े होने और मुझे दवा दिलाने में मदद कर सकते हैं. वे मुझसे प्रति दिन 1500 रुपये मांग रहे हैं और मैं इसका भुगतान करूंगा."

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वही दुसरी ओर सरकार वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए विदेश में संभावनाएं तलाश रही है. दावा किया जा रहा है कि टीके की कमी के बीच टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के जरिए काम शुरू किया जा सकता है. इतना ही नहीं रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि भविष्य में किसी अन्य भारतीय वैक्सीन के लिए भी ऐसा ही किया जाएगा.