महाकुंभ, जो विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, में इस बार प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने भी आस्था की डुबकी लगाई. उन्होंने इस पवित्र स्नान को अपने जीवन का सौभाग्य बताया और सनातन संस्कृति के गौरवशाली पहलू पर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं.
महाकुंभ में कैलाश खेर की उपस्थिति
प्रयागराज में आयोजित इस भव्य महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं के साथ कैलाश खेर भी पहुंचे. उन्होंने गंगा में पवित्र स्नान किया और इसे आत्मिक शुद्धि का अनुभव बताया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैलाश खेर ने कहा 'महाकुंभ में स्नान करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. यह सनातन संस्कृति का दिव्य रूप है, जो हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है.'
आध्यात्मिकता से जुड़ा संगीतकार का सफर
कैलाश खेर का संगीत हमेशा से ही भक्ति और अध्यात्म से जुड़ा रहा है. उनके गाने जैसे ‘बम लहरी’, ‘तेरी दीवानी’ और ‘अगड़ बम’ भक्तिमय संगीत प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. महाकुंभ में उनकी उपस्थिति यह दर्शाती है कि वे केवल मंच पर ही नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में भी अध्यात्म और भक्ति को आत्मसात करते हैं.
सनातन संस्कृति का गौरव
कैलाश खेर ने कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की प्राचीन परंपराओं और मूल्यों का प्रतीक है. यहां आने से व्यक्ति को आत्मिक बल और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. उन्होंने आह्वान किया कि हर भारतीय को जीवन में कम से कम एक बार इस दिव्य आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए.
महाकुंभ का महत्व
हर 12 वर्ष में आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालु आते हैं. मान्यता है कि यहां स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. कैलाश खेर जैसे लोकप्रिय कलाकारों की उपस्थिति से यह आयोजन और भी खास हो जाता है, क्योंकि इससे युवा पीढ़ी भी भारतीय संस्कृति और धर्म के महत्व को समझने के लिए प्रेरित होती है.
कैलाश खेर का महाकुंभ में शामिल होना उनके आध्यात्मिक जुड़ाव को दर्शाता है. उन्होंने इस पावन अवसर को अपनी जिंदगी के सबसे यादगार लम्हों में से एक बताया. उनका कहना है कि यह अनुभव न केवल उन्हें आत्मिक रूप से मजबूत बनाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति की भव्यता का एहसास भी कराता है.
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