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सुप्रीम कोर्ट का हाईकोर्ट के आदेश पर रोक से इंकार, कहा- कल आदेश जारी करें HC

सुप्रीम कोर्ट का हाईकोर्ट के आदेश पर रोक से इंकार, कहा- कल आदेश जारी करें HC

Updated on: 23 Jul 2020, 03:35 PM

नई दिल्ली:

राजस्थान में चल रहे सियासी संग्राम के बीच सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान HC के कल आदेश जारी करने पर रोक लगाने से इंकार  कर  दिया है. हाईकोर्ट कल आदेश जारी कर सकेगा. लेकिन  हाईकोर्ट के  आदेश पर अमल आगे चलकर सुप्रीम कोर्ट के  फैसले पर निर्भर करेगा. सोमवार को  सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर आगे सुनवाई होगी.

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने स्पीकर सीपी जोशी का पक्ष रखा. सिब्बल ने  1992 के किहोटो होलोहॉन मामले में दिए संविधान  पीठ के फैसले का हवाला दिया. उन्होंने कहा - इस फैसले के मुताबिक अयोग्यता के मसले पर स्पीकर का फैसला आने से पहले कोर्ट दखल नहीं दे सकता है. सिब्बल ने दसवीं अनुसची का हवाला देते हुए कहा कि हाई कोर्ट द्वारा स्पीकर को ये निर्देश देना कि अयोग्यता की कार्रवाई पर अभी फैसला न ले, ग़लत है.

कपिल सिब्बल ने कहा, स्पीकर एक बार जब फैसला ले तो उसकी न्यायिक समीक्षा हो सकती है, पर उनके फैसला लेने से पहले कोर्ट उसमे दख़ल नहीं दे सकता. जस्टिस अरुण मिश्रा ने सवाल किया कि क्या कोर्ट तब भी दखल नहीं दे सकता जब किसी MLA के खिलाफ अदालत में कार्यवाही लंबित रहने के बावजूद स्पीकर उसे निलंबित या अयोग्य करार दे.सिब्बल का जवाब, हां, कोर्ट दख़ल दे सकता है, पर वो भी तब जब स्पीकर अयोग्यता या निलंबन पर फैसला ले ले. फैसला लेने से पहले नहीं.

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सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया जिसके मुताबिक कोर्ट ने एक वाजिब समयसीमा में अयोग्यता पर फैसला लेने को कहा. सिब्बल ने कहा, उस फैसले में कोर्ट ने ये साफ किया था कि अयोग्यता पर फैसला लेने से स्पीकर को नहीं रोका जा सकता.

सिब्बल महेश जोशी की ओर से जारी किए व्हिप को पढ़ा, जिसमे सचिन पायलट और बाकी लोगों को CLP मीटिंग में शामिल होने के लिए बोला गया था. कोर्ट ने  पूछा - क्या विधानसभा के बाहर भी व्हिप की इजाज़त है. चीफ व्हिप पार्टी सदस्यो को CLP मीटिंग शामिल होने के लिए व्हिप जारी कर सकता है.

सिब्बल ने कहा, कुछ MLA विधायक दल की तरफ से बुलाई गई बैठक में नहीं आए. हरियाणा के एक रिसॉर्ट में बैठ गए. पार्टी के चीफ व्हिप ने स्पीकर के सामने इस बारे में याचिका दायर की थी. इसलिए स्पीकर ने नोटिस जारी किया. कोर्ट ने सवाल किया कि अयोग्य करार दिए जाने की प्रकिया का आधार क्या है. सिब्बल ने कहा, उन्होंने अपनी पार्टी की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की. उन्होंने मीडिया में विश्वास मत को लेकर बयान दिए, सरकार को गिराने की कोशिश की. ये एक तरह से पार्टी छोड़ने जैसा ही हुआ.

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सिब्बल ने कहा,  17 जुलाई को  स्पीकर के सामने विधायकों को पक्ष रखना था, लेकिन वो जवाब देने के बजाए सीधे  हाई कोर्ट चले गए. वैसे भी स्पीकर ने अभी तक  सिर्फ नोटिस जारी किया है. कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है.लिहाज़ा HC के दखल की ज़रूरत नहीं. 

सिब्बल ने हेमाराम चौधरी, हरीश चंद्र मीणा , बनवारी लाल चौधरी के पार्टी के खिलाफ मीडिया में दिए बयानों का हवाला दिया तो कोर्ट ने पूछा कि अभी तक उनके खिलाफ पार्टी ने एक्शन क्यों नहीं लिया. सिब्बल ने कहा, मुझे लगता है कि इसमे कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए. वैसे भी मैं यहां स्पीकर का पक्ष रख रहा हूं, पार्टी का नहीं.

असहमति की आवाज़ ऐसे दबाई नहीं जा सकती- सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस मिश्रा ने आगे कहा, इसका मतलब तो ये हुआ कि कोई पार्टी का सदस्य अपने पार्टी के खिलाफ आवाज़ उठा ही नहीं सकता. असहमति की आवाज़ ऐसे दबाई नहीं जा सकती. जस्टिस मिश्रा ने कहा, एक ही दिन की तो बात है, आप कल तक इंतज़ार नहीं कर सकते.सिब्बलने कहा, लेकिन कोर्ट निर्देश कैसे जारी कर सकता है?कोर्ट ने कहा, यानी आपको आदेश में लिखे दो शब्दों ( we direct) से दिक्कत है, जबकि आदेश में जगह जगह रिक्वेस्ट (आग्रह शब्द) का इस्तेमाल किया है.

कपिल सिब्बल ने कहा, पायलट ग्रुप के विधायकों को  स्पीकर के सामने आना चाहिए. स्पीकर को बताना चाहिए  कि आखिर वो पार्टी की बैठक में आने के बजाए व रिसोर्ट में क्यों गए. अगर स्पीकर उनके जवाब से संतुष्ट होंगे तो अयोग्य ठहराए जाने की कार्रवाई नहीं करेंगे.  विधायकों को पार्टी की किसी बात से नाराज़गी है तो पार्टी की बैठकों में आयें. वहां अपनी बात रखें.

पार्टी की मीटिंग में शामिल न होना भी अयोग्यता का आधार बना-  सिब्बल

सिब्बल ने कहा, SC के कई फैसले रहे है, जिसके मुताबिक पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर काम करना या फिर पार्टी की मीटिंग में शामिल न होना भी अयोग्यता का आधार बना. कोर्ट ने पूछा,पार्टी की मीटिंग में शामिल न होना भी अयोग्यता का आधार बन जाता है?

सिब्बल ने कहा,  हमने उन फैसलों का हवाला याचिका में दिया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, इस मामले में विस्तार से सुनवाई की ज़रूरत है. सिबब्ल ने मांग की कि सी बीच HC के आदेश को निलंबित कर दीजिए. उन्होंने कहा, HC में चल रही सुनवाई को SC में ट्रांसफर कर दीजिए. कोर्ट ने कहा, अभी ऐसा करना ठीक नहीं. कोर्ट ने इस पर साल्वे और मुरुल रोहतगी से भी राय पूछी. मुकुल रोहतगी ने कहा, स्पीकर को अभी 24 घन्टे और इंतज़ार करने में क्या दिक़्क़त है. वहीं साल्वे-स्पीकर पहले ही दो बार अयोग्यता की करवाई को स्थगित कर चुके हैं. सिब्बल ख़ुद HC में पेश होकर जिरह कर चुके हैं. अब वो कैसे Hc में सुनवाई निलंबित रखने की बात कर सकता है.