बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में विलय के मुद्दे पर दायर याचिकाओं पर राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. माना जा रहा है कि कोर्ट इस मामले में लंच के बाद 2 बजे अपना फैसला सुना सकता है. आज मामले पर हाईकोर्ट में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से बहस शुरू की गई. स्पीकर की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि बसपा और बीजेपी विधायक मदन दिलावर की अपील मेंटनेबल नहीं है. इस बिस्तर पर अपील को सुना नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह मामला कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. कपिल सिब्बल ने इस दौरान कई केसों का भी हवाला दिया.
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हाईकोर्ट में बीजेपी विधायक मदन दिलावर की ओर से हरीश साल्वे और बसपा की ओर से सतीश मिश्रा पक्ष पैरवी कर रहे हैं. बसपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश मिश्रा ने कहा कि 14 अगस्त को विधानसभा सत्र है. 6 विधायक बाड़े बंदी में बंद है. एकलपीठ ने स्टे एप्लीकेशन को भी तय नहीं है. इस पर कोर्ट ने एकलपीठ को एप्लीकेशन को तय करने के निर्देश दिए. वहीं बीजेपी विधायक के अधिवक्ता साल्वे ने कोर्ट में कहा कि विधायकों को नोटिस तालीम नहीं होना अलग बात है और अंतरिम आदेश देना अलग बात है. इस पर कोर्ट ने कहा कि हम एकलपीठ को अंतरिम आदेश पारित करने का आदेश दे देते हैं.
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ज्ञात हो कि बसपा और भाजपा नेता ने एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ मंगलवार को हाईकोर्ट की खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया था, क्योंकि एकल न्यायाधीश ने बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस विधायकों के रूप में काम करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. अपनी अपील में दोनों ने कहा कि एकल पीठ ने उन्हें अंतरिम राहत नहीं दी और दावा किया कि संबंधित विधायकों के पास उनका वह नोटिस नहीं पहुंचा, क्योंकि वे जैसलमेर के एक होटल में डेरा डाले हुए हैं. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि अदालत को 18 सितंबर, 2019 के विलय के आदेश पर रोक लगानी चाहिए.
Source : News Nation Bureau