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राजस्थान में शह और मात का खेल: गहलोत समर्थक निर्दलीय विधायकों की बैठक आज, ये खतरा है या कुछ और?

गहलोत खेमे की तरफ से अब 13 निर्दलीय विधायक हरावल दस्ते की भूमिका में आगे आएंगे. 13 निर्दलीय विधायकों ने बुधवार यानी आज जयपुर में साझा बैठक बुलाई है.

Updated on: 23 Jun 2021, 07:26 AM

highlights

  • गहलोत और पायलट गुट में खींचतान जारी
  • ये लड़ाई बन गई कांग्रेस के लिए मुसीबत
  • अब 13 निर्दलीय विधायकों ने बुलाई बैठक

जयपुर:

राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लड़ाई कांग्रेस के लिए मुसीबत बनी हुई है. दोनों खेमों में खींचतान के बीच शह और मात का खेल भी जारी है. कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अजय माकन के सचिन पायलट को एसेट और स्टार बताने के अलावा उनसे प्रियंका गांधी की लगातार बात होने का बयान देने के बाद गहलोत खेमे ने रणनीति बदली है. गहलोत खेमे की तरफ से अब 13 निर्दलीय विधायक हरावल दस्ते की भूमिका में आगे आएंगे. 13 निर्दलीय विधायकों ने बुधवार यानी आज जयपुर में साझा बैठक बुलाई है. कहा जा रहा है कि कैबिनेट और राजनीतिक नियुक्तियों में अपनी हिस्सेदारी का दावा करने के लिए ये 13 निर्दलीय विधायक आज संयुक्त रूप से बैठक करेंगे. हालांकि बैठक में बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायक शामिल होंगे या नहीं, ये स्पष्ट नहीं है. पहले इन विधायकों के भी बैठक में शामिल होने की बात कही गई थी.

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इससे पहले मंगलवार को अशोक गहलोत समर्थक निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा ने पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर करारा हमला बोला. रामकेश मीणा ने कहा कि सचिन पायलट राजस्थान में क्या मांगते हैं, यहां के लोग मर गए हैं जो पायलट सीएम बनना चाहते हैं. निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा यहां तक कह बैठे कि वह (सचिन पायलट) जितने दिन राजस्थान में रहेंगे, उतना ही कांग्रेस पार्टी को नुकसान होगा. रामकेश मीणा ने कहा कि कांग्रेस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब कांग्रेस के अध्यक्ष ने ही अपनी सरकार गिराने के प्रयास किए हों.

जातिगत राजनीति करते हैं पायलट

निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा ने आरोप लगाया कि सचिन पायलट जातिगत राजनीति करते हैं.  ऐसे लोगों को कांग्रेस का स्टार बताया जा रहा है. उन्होंने कांग्रेस आलाकमान से मांग की कि ऐसे लोगों को अगर बढ़ावा दिया जाएगा तो यह कांग्रेस को नुकसान ही पहुंचाएंगे. रामकेश मीणा ने कहा कि पायलट आज मुख्यमंत्री बनने की बात करते हैं, लेकिन कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान पायलट ने पहुंचाया है. अगर पायलट के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव नहीं होते तो कांग्रेस पार्टी 30 सीटें और ज्यादा जीतती. निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा ने कहा कि ज्यादातर निर्दलीय विधायक कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं. हमारे टिकट जानबूझकर काटे गए थे. मेरा टिकट काटकर सिंगापुर से लौटे एक व्यक्ति को दिया गया.

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13 निर्दलीय विधायकों पर कांग्रेस का अनुशासन लागू नहीं होता

उल्लेखनीय है कि 13 निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आने वाले 6 विधायक गहलोत कैंप के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स के बड़े टूल माने जा रहे हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गहलोत कैंप ने एक रणनीति के तहत ही इन 19 विधायकों को मैदान में उतारा है, क्योंकि ये विधायक खुलकर कहते हैं कि उनका समर्थन गहलोत को है. कल जरूरत पड़ने पर वे गहलोत के पक्ष में खुलकर खड़े होने के साथ पायलट कैंप के खिलाफ खुलकर बयान दे सकते हैं और हाईकमान पर दबाव बना सकते हैं. इसका कारण यह कि 13 निर्दलीयों पर तो कांग्रेस का अनुशासन लागू नहीं होता, बसपा से कांग्रेस में आने वाले विधायक भी संकट में मदद का हवाला देकर हक मांगने का तर्क देकर अनुशासन के दायरे से बच सकते हैं.

हाईकमान पर दबाव की रणनीति

अजय माकन के बयान के बाद सप्ताह भर से सचिन पायलट कैंप को लेकर बना हुआ नरेटिव पूरी तरह बदल गया. पायलट के दिल्ली से लौटने के बाद गहलोत कैंप को लग रहा था कि मुख्यमंत्री को ही अब फ्री हैंड है, पायलट की हाईकमान नहीं सुन रहा. प्रभारी अजय माकन ने पायलट के पक्ष में बयान देकर सब कुछ बदल दिया. अब गहलोत कैंप ने भी अपनी सियासी चालें चलनी शुरू की हैं, जिनमें जी-19 एक पहली चाल है. आगे भी दोनों खेमे अपनी चालें चलते रहेंगे. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कांग्रेस की इस खींचतान में अभी बहुत कुछ अनसुलझा और अनदेखा है जिसके सामने आने के लिए इंतजार करना होगा.