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राजस्थान में सियासी संकट: नए विवाद में घिरी गहलोत सरकार, पायलट गुट के विधायक ने लगाए फोन टैपिंग के आरोप

राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे में बटी हुई है, जिनमें फिर से गतिरोध बढ़ गया है और इससे संकट सरकार पर मंडरा रहा है.

Updated on: 13 Jun 2021, 08:30 AM

जयपुर:

राजस्थान की अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार में सियासी कलह थम नहीं रही है. सूबे की सत्तारूढ़ कांग्रेस अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे में बटी हुई है, जिनमें फिर से गतिरोध बढ़ गया है और इससे संकट सरकार पर मंडरा रहा है. सचिन पायलट दिल्ली में मौजूद हैं तो राज्य में उनके खेमे के विधायक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए हुए हैं. अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट में फिर से टकराव के साथ राज्य में फोन टेपिंग के आरोप भी फिर से लगने लगे हैं. सचिन पायलट गुट से जुड़े कांग्रेस विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने फोन टेपिंग के आरोप लगाए हैं.

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कांग्रेस विधायक वेद प्रकाश ( वीपी) सोलंकी ने कहा है, 'मुझे नहीं पता कि मेरा फोन टेप किया जा रहा है या नहीं. लेकिन कई विधायकों ने कहा है कि मोबाइल फोन टेप किए जा रहे हैं. कई अधिकारियों ने उन्हें (विधायकों को) भी बताया कि ऐसा लगता है कि उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है.' वीपी सोलंकी ने कहा कि विधायकों ने इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को भी दी है. सचिन पायलट के विश्वस्तों में शामिल वीपी सोलंकी ने कांग्रेस आलाकमान को भी इस संबंध में शिकायत की है और कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए.

गौरतलब है कि पिछली बार भी फोन टेपिंग का मसला उठा था. पिछली बार जब पायलट खेमा बगावत करते गुरुवार पहुंच गया था, तब सरकार फोन टैपिंग के आरोप लगे थे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी ने पिछले साल ऑडियो जारी कर कथित रूप से केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गजेंद्र सिंह शेखावत, पायलट खेमे के विधायक भंवरलाल शर्मा और संजय जैन के बीच बातचीत का दावा किया था, जिसमें सरकार गिराने की बात कही गई थी. इस बार बवाल बढ़ा तो जांच एसओजी को जांच सौंपी गई थी, मगर पायलट गुट के वापस लौटते ही जांच बंद कर दी गई थी. अब एक बार फिर पायलट खेमे के बगावती सुर के साथ ही राजस्थान में फोन टैपिंग के आरोप सरकार पर लगे हैं, जिससे प्रदेश की राजनीति का पारा फिर चढ़ सकता है.

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दरअसल, जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने के बाद सचिन पायलट भी कांग्रेस आलाकमान पर सवाल उठाए थे और सीधे गहलोत सरकार को निशाना बनाया था. सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों ने पार्टी आलाकमान को अल्टीमेटम दिया कि या तो जुलाई तक मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां करने का वादा पूरा करो, नहीं तो वे आगे निर्णय लेने में स्वतंत्र हैं. जिसके बाद राजस्थान में फिर से राजनीतिक नाटक शुरू हो गया. सचिन पायलट भले ही पार्टी छोड़ने से बार बार इनकार कर रहे हैं, मगर उनके बयानों में विरोध के सुर नजर आते हैं.

माना जाता है कि राजस्थान में पूरी ताकत अशोक गहलोत के हाथों में है. जबकि पायलट अपने खेमे का सरकार में सम्मान चाहते हैं. वह लगातार कांग्रेस आलाकमान पर वो वादे पूरे नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं, जो राजस्थान में चुनाव के वक्त पायलट खेमे के लिए किए गए थे. ऐसे में पायलट गुट लगातार अल्टीमेटम दे रहा है. इस बीच हाल ही में छह बार के विधायक हेमाराम चौधरी ने 22 मई को कांग्रेस सरकार से इस्तीफा दे दिया और वह अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए अनिच्छुक दिख रहे हैं. जबकि विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने इस्तीफा देने की धमकी भी दी है. दोनों विधायक प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के गुट से जुड़े हैं.

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इस बीच गहलोत खेमा अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पायलट के खेमे से विधायकों के अवैध शिकार में व्यस्त नजर आ रहा है. पायलट खेमे के दो ऐसे विधायक इंद्रराज गुजर और पीआर मीणा हैं, जिन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के काम की तारीफ ऐसे समय में की थी, जब पायलट के अन्य अनुयायी सरकार के काम पर सवाल उठा रहे थे. कलह की कहानी यहीं खत्म नहीं होती है, क्योंकि गहलोत के बेहद करीबी माने जाने वाले दो मंत्रियों के बीच हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक के दौरान कथित तौर पर कहासुनी भी हुई थी/एक मायने में गहलोत और उनके पूर्व डिप्टी के बीच मतभेद अब नहीं रहे. यह एक आंतरिक युद्ध है. बहरहाल, सभी की निगाहें इन मुद्दों को हल करने के लिए हाईकमान की पिचों पर टिकी हुई हैं.