Balotara: राजस्थान के बालोतरा जिले की कल्याणपुर पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत अराबा दुदावता के ग्रामीणों के सामने एक बार फिर रासायनिक और प्रदूषित पानी का संकट गहराता जा रहा है. ग्राम पंचायत की ओर से जारी एक आम सूचना ने लोगों में दहशत का माहौल बना दिया है. इस चेतावनी में साफ तौर पर कहा गया है कि जोधपुर से आ रहा रासायनिक पानी अब इतनी तेजी से फैल रहा है कि अराबा पुरोहितान गांव के घरों में इसका प्रवेश कभी भी हो सकता है.
सूचना में ग्रामीणों को सलाह दी गई है कि वे तुरंत अपने घर खाली कर सुरक्षित स्थानों की ओर चले जाएं. पंचायत ने स्पष्ट किया है कि हालात अगर और बिगड़े तो प्रशासन ग्रामीणों की सुरक्षा की गारंटी नहीं ले पाएगा. घर खाली करने की जिम्मेदारी पूरी तरह ग्रामीणों पर ही होगी.
ग्रामीणों के लिए तय किए गए सुरक्षित ठिकाने
ग्राम पंचायत ने आपात स्थिति को देखते हुए पांच सुरक्षित स्थान चिह्नित किए हैं, जहां लोग अस्थायी रूप से ठहर सकते हैं:
1. सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय, अराबा दुदावता
2. सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय, अराबा दुदावता
3. सामुदायिक भवन, अराबा बस्ती
4. नाईक परिवार का घर, अराबा दुदावता
5. माजिसा माता मंदिर परिसर, अराबा दुदावता
15 वर्षों से जमीनी समाधान नहीं
इस क्षेत्र में रासायनिक और दूषित पानी की समस्या कोई नई नहीं है. बीते डेढ़ दशक से यह संकट बना हुआ है, लेकिन अब तक इसका कोई स्थायी हल नहीं निकल पाया है. जोधपुर के धवा गांव से निकलकर यह प्रदूषित पानी बालोतरा के डोली, अराबा और कल्याणपुर तक पहुंच रहा है. बारिश के मौसम में इसकी स्थिति और भयावह हो जाती है, जब बरसात का पानी भी इसमें शामिल होकर बहाव को और तेज कर देता है.
स्कूल में भरा पानी, पंचायत भवन में चल रही कक्षाएं
अराबा गांव की उच्च माध्यमिक विद्यालय में पिछले 15 दिनों से पानी भरा हुआ है, जिस कारण स्कूल की कक्षाएं ग्राम पंचायत के पुराने भवन में संचालित की जा रही हैं. वहीं, डोली और अराबा के चारों ओर यह पानी फैलकर लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. निकासी के लिए पंचायत ने एक अस्थायी चैनल बनाया है, लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहा है.
स्थायी समाधान की मांग तेज
ग्रामीणों की मांग है कि सरकार और प्रशासन अब इस स्थायी संकट पर गंभीरता से ध्यान दे और इसके स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए. जब तक ऐसा नहीं होता, हर मानसून में इस तरह की चेतावनियां और विस्थापन ग्रामीणों की नियति बनती रहेंगी.
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