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GST chori Photograph: (social)
Jaipur News: राजस्थान के जयपुर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां डायरेक्टरेट जनरल जीएसटी इंटेलिजेंस यानी DGGI ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. एक रेलवे कॉन्ट्रैक्टर के कई ठिकानों पर DGGI ने छापेमार कार्रवाई की है. जयपुर, दौसा और बांदीकुई में करीब 15 ठिकानों पर रेड मारी गई है. बताया जा रहा है कि जिस ठेकेदार के खिलाफ एक्शन लिया गया है उसकी पहचान भवानी सिंह गुर्जर के रूप में हुई है.
BSP का रह चुका है उम्मीदवार
विश्वस्त सूत्रों से मिली अहम जानकारी के अनुसार, भवानी के ऊपर GST चोरी और बोगस फर्मों से GST हेरफेर का आरोप है. भवानी सिंह गुर्जर बसपा के टिकट पर गत विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार भी रह चुका है.
शिकायत मिल रही थी कि आरोपी भवानी नौकरों के नामों से बनाई फर्मों का फर्जीवाड़े में उपयोग कर रहा था. आज 29 जनवरी की सुबह कार्रवाई की शुरुआत की गई. DGGI की टीमें फिलहाल मौके पर मौजूद हैं और दस्तावेज खंगालने में जुटी हैं.
लुब्रिकेटिंग ऑयल घोटाले का पर्दाफाश
डीजीजीआई की यह कार्रवाई कोई पहली बार नहीं की गई है, बल्कि इससे पहले पिछले वर्ष बीते दिसंबर में एक लुब्रिकेटिंग ऑयल को साफ करने वाली कंपनी में भी छापेमारी की गई थी. रिपोर्ट के अनुसार यहां कथित तौर पर फर्जी चालान के जरिए 10 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था. इसके जरिए कम्पनी ने टैक्स की चोरी की थी.
शातिर तरीके से की टैक्स चोरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डीजीजीआई के जयपुर जोनल यूनिट के अधिकारियों ने जयपुर के विभिन्न इलाकों में इस बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया. टीम ने व्यापारी दीपक एंटरप्राइजेज, मेसर्स रैक्सी लुबर्स, लुब्रिकेटिंग ऑयल रिफाइनर मेसर्स महावीर केमिकल इंडस्ट्रीज, मेसर्स माहेश्वरी पेट्रोकेमिकल्स और मेसर्स ओम इंडस्ट्रीज के ठिकानों की जांच की. इस कार्रवाई के दौरान सामने आया कि लुब्रिकेटिंग ऑयल के व्यापारी गुप्त रूप से ब्रांडेड लुब्रिकेटिंग ऑयल को साफ कर रहे थे. साथ ही इन कम्पनियों ने फर्जी तरीके से चालान काटकर टैक्स की चोरी की थी.
हुआ ये खुलासा
जांच में पता चला कि इन कम्पनियों ने टैक्स चोरी के लिए बड़ा खेल खेला था. बताया जा रहा है कि माल सप्लाई किए बिना फर्जी चालान जारी किये गए, जिसमें अपने स्टॉक में दिखाए माल के संबंध में अन्य प्रयुक्त तेल रिफाइनर्स को कम मुल्य पर फर्जी चालान जारी किया जा रहा था. इसके अलावा फर्जी चालान का इस्तेमाल बिना बिल के प्रयुक्त तेल की अपनी खरीद को कवर करने के लिए कर रहे हैं. इस तरह टैक्स भरने वाले लोगों ने रिफाइनरों के साथ मिलकर करीब 10 करोड़ रुपये टैक्स की चोरी की गई.
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