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traffic Photograph: (social media)
जयपुर में बढ़ता ट्रैफिक अब सिर्फ मानसिक तनाव ही नहीं, बल्कि शारीरिक बीमारियों की बड़ी वजह बन चुका है. हालात ये हैं कि राजधानी अब देश का चौथा सबसे शोरगुल वाला शहर बन चुका है. यहां पर लगातार ट्रैफिक और प्रेशर हॉर्न की आवाजें ने लोगों की सुनने की क्षमता को छीना है.
प्रेशर हॉर्न के कारण अब लोगों के स्वास्थ्य पर असर
राजधानी जयपुर में बढ़ती आबादी और ट्रैफिक लोगों के साथ परेशानी का सबब बनता जा रहा है. ट्रैफिक का शोर और गाड़ियों के प्रेशर हॉर्न के कारण अब लोगों के स्वास्थ्य पर असर हो रहा है. सवाई मानसिंह अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर मोहनीश ग्रोवर के अनुसार, ट्रैफिक का बढ़ता शोर शहर के लोगों को धीरे-धीरे बहरा बनाता जा रहा है. डॉक्टर ग्रोवर के अनुसार, एसएमएस अस्पताल के ईएनटी विभाग के अनुसार, मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इनकी सुनने की क्षमता ट्रैफिक से प्रभावित हो रही है. उनका कहना है कि जयपुर में ध्वनि प्रदूषण का स्तर दिल्ली से भी काफी अधिक है.
शोर 53 डेसीबल से अधिक नहीं
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मानकों के तहत, किसी भी शहर में दिन के वक्त शोर 53 डेसीबल से अधिक नहीं होना चाहिए. वहीं रात के समय 45 डेसीबल तक सीमित होना जरूरी है. आपको बता दें कि जयपुर के व्यस्त इलाकों में यह स्तर 80 डेसीबल तक पहुंच गया है. यह स्तर कानों की आंतरिक की झिल्ली को नुकसान पहुंचाता है. हीयर लॉस का खतरा बढ़ा देता है.
हाई ब्लड प्रेशर की समस्या सामने आती है
डॉक्टर ग्रोवर के अनुसार, लगातार ज्यादा शोर के संपर्क में रहने से से शरीर पर कई तरह का दुष्प्रभाव होते हैं. इसमें सबसे बड़ा लक्षण कानों में हर समय सीटी का बजना. दिल से जड़ी बीमारियों का खतरा. मानसि​क तनाव, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या सामने आती है.
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