राजस्थान में शराब की दुकानें खोले जाने की एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या शराब की हर दुकान पर आबकारी अधिकारी लगाया जा सकता है. इस पर राज्य सरकार ने मैन पॉवर की कमी के चलते कहा कि ऐसा संभव नहीं है. राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग के लिए सभी उपाय किए जा सकते हैं. इस मामले में विस्तृत जवाब के लिए महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने समय मांगा है. निखिलेश कटारा की जनहित याचिका पर न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति की खण्डपीठ में इस मामले की सुनवाई की गई. अब मामले की अगली सुनवाई 12 मई को होगी.
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दरअसल सोमवार को लॉकडाउन-3 के चलते मिली छूट के चलते राजधानी जयपुर समेत प्रदेशभर में शराब की दुकानें खुली तो लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. देखते ही देखते सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ने लगी और भीड़ बढ़ती गई. जैसे ही इसकी खबर आबकारी विभाग को लगी तो अधिकारी एक्शन में आए और जयपुर समेत अन्य शहरों में भी शराब की दुकानों/ठेकों को तत्काल बंद करवाना शुरू कर दिया. कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए अशोक गहलोत सरकार ने 22 मार्च को पहली बार लॉकडाउन की घोषणा की थी और तभी से ये दुकानें बंद थीं।लॉकडाउन 3.0 के तहत दी गई ढील के तहत सोमवार को ये दुकानें एक बार फिर खुलीं हैं। लेकिन ऐसी दुकानों को पहले ही दिन बंद करवा दिया गया जहां सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं रखा गया.
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टोकन सिस्टम होगा लागू!
राजधानी जयपुर में अधिकांश शराब की दुकानों को बंद करा दिया गया है. आबकारी विभाग की ओर से ऐसा सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं होने पर किया गया है. जल्द ही यहां टोकन सिस्टम लागू किया जाएगा जिससे शराब की दुकानों पर भीड़ न बढ़े और सोशल डिस्टेंसिंग सही तरीके से लागू हो सके.
Source : News Nation Bureau