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कोटा: स्कूली सिलेबल में गैर-मुस्लिम बच्चों को सिखाया जा रहा अम्मी-अब्बू बोलना, बजरंग दल ने की शिकायत

कोटा में बजरंग दल ने कक्षा दो में पढ़ाई जा रही एक पुस्तक पर आपत्ति जताते हुए संभागीय आयुक्त जिला शिक्षा अधिकारी को शिकायत की है. आरोप है कि गैर मुस्लिम बच्चों को अम्मी, अब्बू बोलना सिखाया जा रहा है...

Updated on: 15 Jul 2022, 11:49 AM

highlights

  • कोटा के स्कूली सिलेबस को लेकर हंगामा
  • बजरंग दल ने लगाए गंभीर आरोप
  • शिक्षा विभाग ने माना, मिली है शिकायत

कोटा/जयपुर:

कोटा में बजरंग दल ने कक्षा दो में पढ़ाई जा रही एक पुस्तक पर आपत्ति जताते हुए संभागीय आयुक्त जिला शिक्षा अधिकारी को शिकायत की है. आरोप है कि गैर मुस्लिम बच्चों को अम्मी, अब्बू बोलना सिखाया जा रहा है. इंग्लिश मीडियम स्कूल की कक्षा 2 की ये किताब बताई जा रही है, जिसमें शब्दों के रूप में मदर को अम्मी और फादर को अब्बू लिखा गया है. एक लेसन में यह सवाल भी पूछा गया कि' आप घर की भाषा में पेरेंट्स और ग्रांडफादर को क्या बुलाते है' बजरंग दल का कहना है कि उनके पास परिजनों ने नाराजगी जताते हुए स्कूल में पढ़ाई जा रही इस किताब की जानकारी दी है. हालांकि किसी भी पेरेंट्स ने कोई मामला दर्ज नहीं कराया है. लेकिन बजरंग दल की आपत्ति पर शिक्षा विभाग ने शिकायत रिसीव कर ली है.

बच्चों के परिजनों ने फोन पर बजरंग दल कार्यकर्ताओं को दी जानकारी

बजरंग दल के सह प्रान्त संयोजक योगेश रेनवाल ने बताया कि 12 जुलाई को कोटा के विभिन्न अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता के फोन आ रहे थे और वो स्कूल में पढ़ाए जाने वाली शिक्षा में एक धर्म से जुड़े शब्दों का ज्यादा प्रचलन होने की शिकायत कर रहे थे. इसी बात की तफ्तीश के लिए उन्होंने स्टेशनरी की दुकान से तथाकथित किताब खरीदी जिसका नाम गुलमोहर (लैंग्वेज फॉर लाइफ) है. ये कक्षा 2 की किताब है, जो हैदराबाद के एक पब्लिकेशन की है.

352 रुपए की किताब में 113 पेज

इस किताब का मूल्य 352 रुपए और 113 पेज की ये किताब है. पहले चेप्टर में ही 'टू बिग! टू स्मॉल' पाठ में ही बच्चों को नए शब्द के रूप में मदर को अम्मी और फादर को अब्बू बोलना सिखाया जा रहा है. इसी किताब के दूसरे चैप्टर में भी 'ग्रांडपा फारूक'स गार्डन (दादाजी फारूक का बगीचा)' शीर्षक से है, जिसमें मुस्लिम चरित्र आमिर एवं उसके दादा फारूक को दशार्या गया है.

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इस्लामी भोजन नॉनवेज खिलाने के लिए प्रेरित किया

छठे चैप्टर में पेज नंबर 20 पर बताया गया है कि पेरेंट्स किचन में है और वह बिरयानी बना रहे हैं. रेनवाल का कहना है कि इससे बच्चों को इस्लामी भोजन (खासकर मांसाहारी) खाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. परिजनों ने उन्हें शिकायत में बताया कि हमारे बच्चे अब अब्बू,अम्मी कहने लग गए हैं. घर पर बिरयानी बनाने के लिए बोल रहे हैं. रेनवाल कहा कि कान्वेंट स्कूल में शिक्षा के इस्लामीकरण के लिए ऐसी किताबें चलाई जा रही है. जिसकी वजह से हिंदू समाज की भावनाएं आहत हो रही हैं. इस तरह की किताबों पर प्रतिबंध लगना चाहिए.

सामाजिक कार्यकर्ता ने राजस्थान सरकार की शिक्षा प्रणाली पर किया कटाक्ष

इस मामले को लेकर कोटा के सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत स्वामी ने अपने ट्विटर अकाउंट से दो फोटो ट्वीट करते हुए राजस्थान सरकार की शिक्षा प्रणाली पर कटाक्ष करते हुए पूछा है कि राजस्थान के स्कूल में नॉन मुस्लिम बच्चों को अम्मी-अब्बू बोलना क्यों सिखाया जा रहा है?