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काली बेईं नदी क्यों खास है सिखों के लिए जिसका सीएम मान एक घूंट पानी पी पड़ गए बीमार

सिख धर्म के प्रवर्तक और पहले गुरु गुरुनानक देव जब अपनी बहन बेबे ननकी के साथ सुल्तानपुर लोदी में रहा करते थे, तब वे इस नदी में ही स्नान किया करते थे. तब यह नदी बिल्कुल साफ हुआ करती थी.

Updated on: 22 Jul 2022, 01:59 PM

highlights

  • सिख धर्म में काली बेईं नदी को है पवित्र स्थान का दर्जा प्राप्त
  • माना जाता है गुरुनानक देव को यहीं पर ज्ञान प्राप्त हुआ था 

नई दिल्ली:

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का इन दिनों दिल्ली के अपोलो अस्पताल में पेट के संक्रमण का इलाज चल रहा है. उनकी यह हालत सिखों के लिए बेहद अहम स्थान रखने वाली काली बेईं नदी का एक गिलास पानी पीने के एक दिन बाद हुई. उन्हें एयर लिफ्ट कर दिल्ली लाया गया था. दरअसल सीएम भगवंत मान लोधी के सुल्तानपुर में काली बेईं नदी की सफाई की 22वीं सालगरिह पर गए थे. इस दौरान पर्यावरणविद बलबीर सींचेवाल ने काली बेईं नदी के पानी से भरा एक गिलास उन्हें दिया, जिसे वह एक ही घूंट में पूरा पी गए. सिखों के लिए इस काली बेईं नदीं का बेहद खास महत्व है. गौरतलब है कि पंजाब सरकार इन दिनों नदियों की साफ-सफाई का अभियान चला रही है.

बेईं नदी का धार्मिक महत्व
बेईं को एक पवित्र जलस्रोत का दर्जा है. माना जाता है कि सिख धर्म के प्रवर्तक और पहले गुरु गुरुनानक देव जब अपनी बहन बेबे ननकी के साथ सुल्तानपुर लोदी में रहा करते थे, तब वे इस नदी में ही स्नान किया करते थे. तब यह नदी बिल्कुल साफ हुआ करती थी. गुरुनानक देव ने यहीं सिख धर्म के मूल मंत्र का पाठ किया था. यह भी माना जाता है कि  जाता है​ कि इस नदी के पानी में वे अंतर्ध्यान हो गए थे. इस कारण ही सिखों के लिए यह नदी खासी अहमियत रखती है.

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ऐसे पड़ा काली बेईं नाम
165 किलोमीटर लंबी नदी पंजाब के होशियारपुर से शुरू होती है और चार जिलों को कवर करती है. यह कपूरथला में ब्यास नदी और सतलुज नदी के संगम पर मिलती है. इस नदी के किनारे 80 से ज्यादा गांव और कस्बे पड़ते हैं. समय के साथ इस नदी में गांव-कस्बों का प्रदूषित पानी गिरने लगा. इसके साथ ही औद्योगिक अपशिष्ट भी इसी में बहा दिए जाते थे. इन कारणों से इसका पानी काला पड़ गया और इसका नाम काली बेईं पड़ गया. जहरीला पानी हो जाने से इसके गंदे पानी में बाद में जलकुंभी, जंगली घास और खरपतवार भी उग आए. समय के साथ यह पवित्र नदी काफी गंदी हो गई और काली पड़ गई थी. 

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2000 में शुरू हुआ सफाई अभियान
सिख धर्म में इसके पवित्र महत्व को देखते हुए इसकी सफाई के लिए 16 जुलाई 2000 को अभियान शुरू किया गया. बीते दिनों इस सफाई अभियान की 22 सालगिरह आई, तो सींचेवाल ने सीएम भगवंत मान को भी निमंत्रण भेज दिया. सालों साल चले सफाई अभियान से काली बेईं नदी का पानी साफ दिखने लगा था. ऐसे में जब बलबीर सींचेवाल ने भगवंत मान को गिलास में पानी दिया, तो वह बेहिचक पी गए. इसके बाद उन्हें पेट का संक्रमण हुआ और उन्हें दिल्ली एयर लिफ्ट कर लाना पड़ा.