Punjab में होने वाला है 350वें शहीदी दिवस पर भव्य समारोह, तीन दिन श्रद्धा, संस्कृति और इतिहास का अद्भुत संगम

Guru Teg Bahadur 350th Martyrdom Day: इस समागम का उद्देश्य केवल इतिहास को याद करना नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को उस विरासत से जोड़ना है. जिसने मानवता, न्याय और धर्म की रक्षा के लिए अपना सबकुछ न्योछावर किया.

Guru Teg Bahadur 350th Martyrdom Day: इस समागम का उद्देश्य केवल इतिहास को याद करना नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को उस विरासत से जोड़ना है. जिसने मानवता, न्याय और धर्म की रक्षा के लिए अपना सबकुछ न्योछावर किया.

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Yashodhan.Sharma
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Bhagwant Mann and kejriwal

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Chandigarh: श्री आनंदपुर साहिब एक बार फिर पंजाब की आध्यात्मिक धड़कन बनने वाला है. 23 नवंबर से शुरू होने वाला तीन दिवसीय भव्य समागम गुरु तेग बहादुर जी, भाई मती दास जी, भाई सती दास जी और भाई दयाला जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित है. पूरे पंजाब में इस ऐतिहासिक आयोजन को लेकर गहरी श्रद्धा और उत्साह का माहौल है.

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क्या है समागम का उद्देश्य

पंजाब सरकार ने इस कार्यक्रम की तैयारियों को जिस सम्मान और भव्यता के साथ अंजाम दिया है, उसकी हर ओर सराहना हो रही है. इस समागम का उद्देश्य केवल इतिहास को याद करना नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को उस विरासत से जोड़ना है जिसने मानवता, न्याय और धर्म की रक्षा के लिए अपना सबकुछ न्योछावर किया.

23 नवंबर से शुरू होगा अखंड पाठ

23 नवंबर को अखंड पाठ, प्रदर्शनी और सर्वधर्म सम्मेलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत होगी. अगले दिन 24 नवंबर को दिन भर सिख इतिहास और शहादत की गौरवशाली परंपरा से जोड़ने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. सुबह शीश भेंथ नगर कीर्तन से दिन की शुरुआत होगी. यह यात्रा उस ऐतिहासिक पल की याद दिलाती है जब भाई जैता जी गुरु तेग बहादुर जी का सिज सुरक्षित लेकर आनंदपुर साहिब तक आए थे. इसके बाद आयोजित हेरिटेज वॉक लोगों को गुरुद्वारा भौरा साहिब, शीश गंज साहिब, गुरु तेग बहादुर म्यूज़ियम, तख्त श्री केसगढ़ साहिब, क़िला आनंदगढ़ साहिब और विरासत-ए-खालसा की ऐतिहासिक विरासत से रूबरू कराएगी.

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से जोड़ने का होगा काम

सुबह 11 बजे गुरु तेग बहादुर जी को समर्पित विशेष विधानसभा सत्र होगा. यह पहली बार है जब पंजाब विधानसभा शहीदी दिवस को आधिकारिक रूप से सम्मान दे रही है. इसके बाद धाडी वार, कविशर दरबार, नाटक, कविताएं और गुरु साहिब की शिक्षाओं पर आधारित कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू होगी, जो लोगों को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से जोड़ने का काम करेगी.

शाम को चरन गंगा स्टेडियम में गतका, तलवारबाज़ी, शस्त्र दर्शन और विशेष प्रस्तुतियां होंगी, जो खालसा पंथ की वीर परंपरा को दर्शाएंगी. विरासत-ए-खालसा में होने वाला ड्रोन शो गुरु तेग बहादुर जी की जीवन यात्रा को रोशनी की मदद से नए अंदाज़ में पेश करेगा. रात को कथा और कीर्तन दरबार पूरे वातावरण को आध्यात्मिक शांति से भर देगा. यह समागम केवल आयोजन नहीं, बल्कि श्रद्धा और संस्कार का पर्व है, जो पंजाब को उसकी महान विरासत से एक बार फिर मजबूत रूप से जोड़ देगा.

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