पद्मश्री से सम्मानित कटक के चायवाले डी प्रकाश राव नहीं रहे, प्रधानमंत्री ने जताया शोक, जानिए उनसे जुड़ी बड़ी बातें
कटक के लोकप्रिय चायवाले के रूप में जाने गए और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित 63 वर्षीय प्रकाश राव का गुरुवार को निधन हो गया. गुरुवार को भी राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.
कटक:
ओडिशा के कटक के रहने वाले चायवाले और सामाजिक कार्यकर्ता डी प्रकाश राव (देवरापल्ली प्रकाश राव) अब इस दुनिया में नहीं रहे. कटक के लोकप्रिय चायवाले के रूप में जाने गए और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित 63 वर्षीय प्रकाश राव का गुरुवार को निधन हो गया. गुरुवार को भी राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. डी प्रकाश राव के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दुख व्यक्त किया.
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बता दें कि डी प्रकाश राव हाल ही में कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे. हालांकि बाद में वह ठीक भी हो गए थे. लेकिन बाद में ऑक्सीजन लेवल कम होने के चलते उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया था. मगर 63 साल की प्रकाश राव का गुरुवार को निधन हो गया. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दुख जताया. प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, 'श्री डी प्रकाश राव के निधन से दुखी हूं. जो उत्कृष्ट कार्य उन्होंने किया है, वह लोगों को प्रेरित करता रहेगा. उन्होंने शिक्षा को सशक्तीकरण के महत्वपूर्ण साधन के रूप में देखा था.'
सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में डी प्रकाश राव ने साल 1978 से लेकर अब तक 200 से ज्यादा बार ब्लड डोनेट किया था. 1976 में लकवा मार जाने पर उन्हें किसी ने ब्लड डोनेट करके उनकी जान बचाई थी. जिसके बाद से प्रकाश राव दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए ब्लड डोनेट करते रहे. उनके बारे में सबसे खास बात ये थी कि वह चाय स्टॉल चलाते थे और इससे होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा समाज के लिए खर्च करते थे. शिक्षा के महत्त्व को समझने वाले प्रकाश राव ने अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा गरीब बच्चों की शिक्षा और और उनके खाने-पीने पर खर्च किया.
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प्रकाश राव की कटक सिटी के बक्सी बाजार इलाके में टी स्टॉल थी. प्रकाश राव ने बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने घर के नजदीक एक स्कूल भी शुरू किया था. उन्होंने आशा ओ आश्वासन नाम से स्लम के बच्चों के लिए स्कूल खोला था. डी प्रकाश राव कटक में एक चाय की स्टॉल चलाते थे. साल 2019 में राव को प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने और समाज में उनके योगदान के लिए इस पुरस्कार से नवाजा गया था.
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