PM Modi: पीएम मोदी ने मिजोरम को दी पहले रेलवे स्टेशन की सौगात, जानें क्यों खास है बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना

PM Modi in Aizawl: पीएम मोदी शनिवार को पूर्वोत्तर के दो राज्यों के दौरे पर पहुंचे. जहां उन्होंने मिजोरम की राजधानी आइजोल को पहली ट्रेन की सौगात दी. पीएम मोदी ने बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना का उद्घाटन कर पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी को विस्तार दिया.

PM Modi in Aizawl: पीएम मोदी शनिवार को पूर्वोत्तर के दो राज्यों के दौरे पर पहुंचे. जहां उन्होंने मिजोरम की राजधानी आइजोल को पहली ट्रेन की सौगात दी. पीएम मोदी ने बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना का उद्घाटन कर पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी को विस्तार दिया.

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Suhel Khan
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Bairabi Sairang railway line in Mizoram

बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना Photograph: (Indian Railway)

PM Modi in Aizawl: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सैरांग में मिजोरम के पहले रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया. जो महत्वपूर्ण बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना के पूरा होने और परिचालन शुरू होने का प्रतीक है. यह परियोजना इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है और भारत के पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी के लिए एक परिवर्तनकारी कदम है.

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पीएम मोदी ने किया ऐतिहासिक रेलवे उद्घाटन

इस दौरान पीएम मोदी ने मिजोरम की राजधानी आइजोल से लगभग 12 किलोमीटर दूर, सैरांग स्टेशन से पहली ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाई. यह पहली बार है जब मिजोरम की राजधानी को भारतीय रेल मानचित्र पर लाया गया है, जो हर राज्य की राजधानी को रेल से जोड़ने के केंद्र के लंबे समय से चले आ रहे उद्देश्य के अनुरूप है.

जानें क्या है बैराबी-सैरांग परियोजना

बता दें कि बैराबी-सैरांग लाइन 51.38 किलोमीटर लंबी है जो पूर्वोत्तर के कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण और पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरती है. यह रेल परियोजना जटिल इंजीनियरिंग का एक कारनामा है. क्योंकि इस परियोजना में 48 सुरंगें, 142 पुल (55 बड़े और 87 छोटे), और कई सड़क ओवरब्रिज और अंडरब्रिज शामिल हैं. इस परियोजना के तहत पुल संख्या 196 की ऊंचाई 104 मीटर है जो दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंचा है. ये पुल पुर्वोत्तर के इस राज्य का सबसे ऊंचा पुल और भारतीय रेलवे का दूसरा सबसे ऊंचा पुल है.

कितना आया है इस परियोजना पर खर्च

बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना के निर्माण पर 80,70 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है. इस परियोजना की परिकल्पना 1999 में ही की गई थी. ये रेल परियोजना दुर्गम भूभाग, बार-बार होने वाले भूस्खलन और छोटे कार्य मौसम ने इसके कार्यान्वयन को चुनौतीपूर्ण बना दिया. साथ ही भारतीय रेलवे की इंजीनियरिंग क्षमताओं को भी प्रदर्शित किया.

कनेक्टिविटी को मिलेगा विस्तार

इस रेल परियोजना से पूर्वोत्तर की कनेक्टिविटी को विस्तार मिलेगा. नए संपर्क के साथ ही आइजोल, गुवाहाटी, अगरतला और ईटानगर के बाद राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जुड़ने वाली चौथी पूर्वोत्तर राज्य की राजधानी बन गई है. इसके साथ ही यह परियोजना सड़क परिवहन पर निर्भरता कम करती है, साथ ही इससे यात्रा समय में कटौती होगी. साथ ही मिज़ोरम में माल और लोगों के परिवहन की लागत में भारी कमी आएगी. इससे पर्यटन, व्यापार और रोज़गार को बढ़ावा मिलने और पूरे क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

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