Manipur Violence: मणिपुर में फिर सुलगी हिंसा की आग, दो गुटों के बीच झड़प में एक की मौत, 4 घायल

Manipur Violence: मणिपुर लगभग पिछले नौ महीने से हिंसा की आग में झुलस रहा है. शनिवार को दो गुटों के बीच हुई हिंसा में राज्य एक बार फिर से सुलग उठा.

Manipur Violence: मणिपुर लगभग पिछले नौ महीने से हिंसा की आग में झुलस रहा है. शनिवार को दो गुटों के बीच हुई हिंसा में राज्य एक बार फिर से सुलग उठा.

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Suhel Khan
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Manipur Violence ( Photo Credit : Social Media)

Manipur Violence: मणिपुर में पिछले साल मई में शुरू हुई हिंसा अभी तक पूरी तरह से थमी नहीं है. राज्य में शनिवार को एक बार फिर से हिंसा की आग भड़क गई. दरअसल, शनिवार को राज्य दो सशस्त्र समूहों के बीच गोलीबारी हो गई. जिसमें एक शख्स की मौत हो गई जबकि चार लोग जख्मी हो गए. पुलिस के मुताबिक, ये घटना राज्य की राजधानी इंफाल की पूर्वी सीमा और कांगपोकपी जिले के बीच हुई. घटना के बाद सुरक्षा बल इलाके में पहुंच गए. घायलों को इलाज के लिए इंफाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

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सुरक्षा बलों के पहुंचने के बाद पीछे हटे दोनों गुट

सुरक्षा बलों के इलाके में पहुंचने के बाद दो गुट पीछे हट गए. एक पुलिस अधिकारी के हवाले से एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि घायल लोगों में से एक के चेहरे पर छर्रा लगा, जबकि दूसरे की जांघ में चोट लगी है. बता दें कि पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में पिछले साल मई में भूमि, प्राकृतिक संसाधन, राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर असहमति को लेकर कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी. इसके बाद से लेकर अब तक राज्य में कई लोगों की मौत हो चुकी है. विपक्ष पद राज्य और केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं कि 60,000 केंद्रीय सुरक्षा बलों की मौजूदगी के बावजूद मणिपुर संकट आठ महीने बाद भी खत्म नहीं किया जा सका.

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इस बीच इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने अपने एक बयान में कहा कि उसने चुराचांदपुर में एक सार्वजनिक परामर्श कार्यक्रम का आयोजन किया. जिसमें उसने अपने आंदोलन को आगे बढ़ाने के तरीके पर चर्चा की. आईटीएलएफ ने कहा कि इस दौरान मणिपुर पर कार्रवाई करने के लिए केंद्र पर दबाव डालने, सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन की स्थिति, अपने आंदोलन को मजबूत करने और 10 कुकी विधायकों के काम को लेकर चर्चा की गई.

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जानें क्या है सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन

गौरतलब है कि सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन 25 कुकी विद्रोही समूहों, केंद्र और राज्य सरकार के बीच हस्ताक्षरित एक त्रिपक्षीय समझौता है, जिसके नियमों के तहत विद्रोहियों को कैंप में रखना और उनके हथियारों को स्टोरेज में जमा करना शामिल हैं. जब पिछले साल मणिपुर में हिंसा शुरू हुई तो यह आरोप लगाए गए कि कई एसओएस शिविरों में रखे हथियारों की संख्या कम हो गई है.

HIGHLIGHTS

  • मणिपुर में फिर सुलगी हिंसा की आग
  • दो गुटों के बीच हुई हिंसक झड़क
  • हिंसा में एक शख्स की मौत, 4 घायल

Source : News Nation Bureau

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