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मणिपुर में सीएम को लेकर संशय बरकरार, होली बाद तय होगा नाम

बीरेन सिंह और विश्वजीत सिंह दोनों ने भी अलग-अलग मीडिया में नए मुख्यमंत्री को लेकर चल रही अटकलों पर अलग-अलग नाराजगी जताते हुए कहा कि दिल्ली में नेतृत्व के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई.

Updated on: 18 Mar 2022, 11:46 AM

highlights

  • 60 सदस्यीय विस में बीजेपी के 32 विधायक
  • पूर्व सहयोगी एनपीपी के हैं सात विधायक

इंफाल:

मणिपुर में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के एक हफ्ते से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी नेतृत्व का मुद्दा अधर में लटका हुआ है, जबकि राज्य भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि होली के बाद नए मुख्यमंत्री के नाम को अंतिम रूप दिया जाएगा. मणिपुर के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और शीर्ष पद के एक अन्य दावेदार थोंगम बिस्वजीत सिंह के साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अधिकारीमयुम शारदा देवी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ नेतृत्व के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए दिल्ली पहुंचे और गुरुवार को इंफाल लौट आए. 

होली के बाद तय होगा सीएम
शारदा देवी ने यहां मीडिया से बात करते हुए कहा कि होली के त्योहार के बाद भाजपा विधायक दल के नेता के नाम को अंतिम रूप दिया जाएगा. उन्होंने कहा, 'दिल्ली में, हमने केंद्रीय नेताओं के साथ हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजों पर चर्चा की है. मुझे विधायक दल के अगले नेता के बारे में कोई जानकारी नहीं है.' बीरेन सिंह और विश्वजीत सिंह दोनों ने भी अलग-अलग मीडिया में नए मुख्यमंत्री को लेकर चल रही अटकलों पर अलग-अलग नाराजगी जताते हुए कहा कि दिल्ली में नेतृत्व के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई. बिस्वजीत सिंह ने कहा, 'संसद का महत्वपूर्ण सत्र चल रहा है और लोग होली मनाने के मूड में हैं इसलिए उसके बाद केंद्रीय नेता और पर्यवेक्षक उचित समय पर नेतृत्व पर निर्णय लेंगे.'

रिजिजू अगले हफ्ते आ रहे इंफाल
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में सोमवार को नियुक्त केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू के अगले सप्ताह की शुरूआत में इंफाल आने की संभावना है ताकि विधायक दल के नेता के नाम को अंतिम रूप देने के लिए अन्य भाजपा विधायकों और नेताओं के साथ चर्चा की जा सके, जबकि कांग्रेस के एक पूर्व नेता बीरेन सिंह अक्टूबर 2016 में भाजपा में शामिल हो गए थे. बिस्वजीत सिंह मुख्यमंत्री के बाद निवर्तमान भाजपा सरकार में दूसरे नंबर पर थे और बीरेन सिंह से अधिक समय तक पार्टी में रहे.

दो साल पहले बीजेपी आई सत्ता में 
बिस्वजीत सिंह 2015 में मणिपुर में भाजपा के एकमात्र विधायक थे. इससे दो साल पहले भगवा पार्टी ने पहली बार पूर्वोत्तर राज्य में सत्ता हासिल की थी, जिन्होंने 2002 से 2017 तक लगातार तीन कार्यकाल (15 वर्ष) सहित कई वर्षों तक राज्य पर शासन करने वाली कांग्रेस को हराया था. फरवरी-मार्च विधानसभा चुनाव में बीरेन सिंह ने अपने पारंपरिक हिंगांग विधानसभा क्षेत्र से रिकॉर्ड 5वीं बार जीत हासिल की, जबकि विश्वजीत सिंह थोंगजू सीट से चौथी बार विधानसभा के लिए चुने गए.

बीजेपी है अल्पमत
60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास 32 विधायकों का अल्प बहुमत है. भाजपा की पूर्व सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी ने सात सीटें हासिल कीं, जबकि जनता दल (यूनाइटेड) ने छह सीटें जीतीं, और कांग्रेस और नागा पीपुल्स फ्रंट को पांच-पांच सीटें मिलीं. एक नवगठित आदिवासी आधारित पार्टी कुकी पीपुल्स एलायंस ने दो सीटों का प्रबंधन किया, जबकि तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी विधानसभा के लिए चुने गए. एनपीएफ, जद (यू) और एक निर्दलीय सदस्य ने भाजपा सरकार को अपना समर्थन देने की घोषणा की है. मेघालय के मुख्यमंत्री और एनपीपी सुप्रीमो कोनराड के. संगमा ने भी कहा था कि उनकी पार्टी मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने के लिए तैयार है, यदि प्रमुख पार्टी उन्हें आमंत्रित करती है.

एनपीपी से संबंध बिगड़ गए बीजेपी के
मणिपुर में भाजपा की अलग सहयोगी एनपीपी ने 38 उम्मीदवार खड़े किए थे और हाल ही में अलग से विधानसभा चुनाव लड़ा था और सात सीटों पर जीत हासिल की थी. चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच संबंध कटु हो गए और दोनों ने एक-दूसरे पर विभिन्न मुद्दों पर आरोप लगाए. संगमा ने कहा कि एनपीपी केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की भागीदार है और अरुणाचल प्रदेश में भाजपा का समर्थन करती है और मेघालय में मिलकर काम कर रही है. दो विधायकों वाली भाजपा संगमा के नेतृत्व वाली मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (एमडीए) सरकार की भागीदार है, जिसकी एनपीपी एमडीए में प्रमुख पार्टी है.