असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर पूरी तौर पर बैन लगाने के लिए केंद्र सरकार से मांग की है. उन्होंने शनिवार को कहा, ‘असम ने केंद्र सरकार से पीएफआई पर तत्काल पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है, हिजाब मुद्दे के कारण नहीं. यह उनका लोकतांत्रिक अधिकार है, बल्कि विध्वंसक गतिविधियों और कट्टरपंथ में उनकी सीधी भागीदारी के कारण है.’ वहीं उन्होंने कहा कि असम सरकार नशीली दवाओं के कुछ मामलों को एनसीबी को सौंप रही है ताकि वह आगे और पीछे के तारों को खंगाल सके जो हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं. हमें उम्मीद है कि 5 साल बाद असम रोल मॉडल बनेगा.
अभी हाल ही में सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि हिजाब विवाद को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए. कुरान शरीफ शिक्षा पर केंद्रित है, हिजाब पर नहीं. उन्होंने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि क्या अधिक जरूरी है शिक्षा या हिजाब. मुस्लिमों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी शिक्षा है. कर्नाटक में हिजाब को लेकर उठे विवाद के बीच असम के सीएम ने यह बयान दिया था.
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असम सीएम आए दिन सुर्खियों में रहते हैं. उन्होंने कहा पिछले दिनों कहा कि उनकी सरकार राज्य की संस्कृति, परंपरा और सभ्यता को दर्शाने वाले स्थानों के नाम बदलने के लिए जनता से सुझाव मांगेगी. सरमा ने कहा था, ‘एक नाम में बहुत कुछ है. किसी शहर, कस्बे या गांव का नाम उसकी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता का प्रतिनिधित्व करना चाहिए. हम असम भर में नाम बदलने पर सुझाव आमंत्रित करने के लिए एक पोर्टल लॉन्च करेंगे.’
सीएम ने गुवाहाटी में कालापहाड़ नामक एक इलाके का नाम बदलने का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा था कि काला पहाड़ ने कामाख्या मंदिर को नष्ट कर दिया था. उनके नाम पर एक मेडिकल कॉलेज का नाम रखने का कोई कारण नहीं है. मुझे लगता है कि रामेंद्र नारायण कलिता (स्थानीय विधायक) को निवासियों से परामर्श करना चाहिए और इलाके के लिए एक नया नाम खोजना चाहिए.’
सीएम ने कहा कि सरकार जबरन स्थानों के नाम नहीं बदलेगी. यह किसी विशेष स्थान के स्थानीय निवासियों के सुझावों और सिफारिशों के साथ ही किया जाएगा. हालांकि, राज्य में विपक्षी दल इस कदम के खिलाफ हैं और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार से बेरोजगारी और विकास जैसे अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा.