संजय राउत के घर के बाहर शिवसेना नगरसेवक का पोस्टर-तेरा घमंड तो 4 दिन का पगले, हमारी बादशाही खानदानी
शिवसेना नेता संजय राउत के घर के बाहर लगे पोस्टर ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. ये पोस्टर शिवसेना की नगरसेवक दीपमाला बढे की तरफ से लगवाया गया है, जिसमें लिखा है, 'तेरा घमंड तो चार दिन का है पगले, हमारी बादशाही तो खानदानी है...
highlights
संजय राउत को शिवसेना नगरसेविका ने लगाई ललकार
तेरा घमंड तो चार दिन का है पगले...
...हमारी बादशाही खानदानी है
मुंबई:
शिवसेना नेता संजय राउत के घर के बाहर लगे पोस्टर ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. ये पोस्टर शिवसेना की नगरसेवक दीपमाला बढे की तरफ से लगवाया गया है, जिसमें लिखा है, 'तेरा घमंड तो चार दिन का है पगले, हमारी बादशाही तो खानदानी है. जय महाराष्ट्र.' बता दें कि संजय राउत को अपने बड़बोलेपन वाले स्वभाव के लिए भी जाना जाता है. वो तुनकमिजाज रहे हैं. ऐसे में अब जब एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना दो टुकड़े होने को है, तो संजय राउत समेत उन तमाम नेताओं को चेतावनी मिलने लगी है, जो अपनी तुनकमिजाजी की वजह से लोगों को नाराज करते रहे हैं.
ये पोस्टर आज रात में ही शिवसेना नगर सेवक की तरफ से संजय राउत के घर के बाहर लगवाया गया है. अब ये पोस्टर राजनीतिक गलियारों में संजय राउत की चुटकियां लेने वाला विषय बन गया है.
Maharashtra | A banner, reading 'Your arrogance would last 4 days, our kingship is inherited', seen outside the residence of Shiv Sena leader Sanjay Raut in Mumbai.
— ANI (@ANI) June 22, 2022
The banner has been put up by Shiv Sena Corporator Deepmala Badhe. pic.twitter.com/N4WkJA0riB
ये भी पढ़ें: महा राजनीतिक संकट: Shivsena के 40 MLAs एकनाथ शिंदे के साथ, BJP के साथ नई सरकार! उद्धव ठाकरे की गद्दी गई?
एकनाथ शिंदे न पलट दी उद्धव ठाकरे की गद्दी!
बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति में बीते 24 घंटों में ऐसा बदलाव आया है, जो किसी ने सोचा भी नहीं था. उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने से पहले जिस एकनाथ शिंदे का महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनना तय था, उस एकनाथ शिंदे ने अब शिवसेना के दो तिहाई से अधिक विधायकों के साथ राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है. जी हां, एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि शिवसेना के 55 विधायकों में से 40 विधायक उनके साथ हैं. इसके अलावा उनके पास कम से कम 7 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है. वो अब राज्यपाल से मुलाकात कर अपने गुट के विधायकों को अलग समूह की मान्यता देने की मांग करने वाले हैं, इसके साथ ही वो बीजेपी के साथ सरकार बनाने में सक्षम हो जाएंगे. इसका साफ सा मतलब है कि उद्धव ठाकरे अब मुख्यमंत्री पद पर बस कुछ ही समय के मेहमान हैं.
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