Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र के राजनीति के दिग्गज और एनसीपी (SP) प्रमुख शरद पवार ने शनिवार (27 जुलाई) को केंद्र सरकार और विधानसभा चुनाव जैसे महत्वपूर्ण मसलों पर अपने विचार साझा किए. संभाजी नगर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, उन्होंने एनडीए सरकार की स्थिरता पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता कि केंद्र सरकार गिरेगी या नहीं, लेकिन इसका आधार क्या है, यह समझ से परे है.
आपको बता दें कि शरद पवार ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का नाम लिए बिना टिप्पणी की, ''जब तक ये नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं, सरकार को कोई समस्या नहीं है. पहले सत्ता पूरी तरह मोदी के हाथ में थी, लेकिन अब सत्ता को बांटने की स्थिति बन गई है.''
लोकसभा और विधानसभा चुनाव, एनसीपी की रणनीति
उन्होंने लोकसभा चुनाव के संदर्भ में कहा कि कुछ बीजेपी नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा था कि संविधान में बदलाव के लिए उन्हें 400 सीटों की आवश्यकता है. विधानसभा चुनावों की स्थिति पर पवार ने कहा कि अब लोगों को लगता है कि बदलाव की आवश्यकता है. इस बदलाव के लिए, एनसीपी ने विधानसभा चुनाव में एक साथ लड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पवार ने स्पष्ट किया कि अगर सभी दल एकजुट नहीं हुए तो इसका मूल्य चुकाना पड़ेगा. उन्होंने संजय राउत, जयंत पाटिल और बालासाहेब थोराट के साथ सीट आवंटन पर चर्चा की और वाम दलों को भी प्रमुख दलों के साथ शामिल करने का सुझाव दिया.
सरकार की आर्थिक स्थिति और मुफ्त योजनाएं
आपको बता दें कि पवार ने कहा कि वर्तमान सरकार के खजाने में कोई विशेष धनराशि नहीं है और चुनाव से पहले दूसरी किस्त देने का निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने आलोचना की कि नरेंद्र मोदी की मुफ्त योजनाओं से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं होगी और पार्टी में शामिल होने की इच्छा रखने वाले लोगों के बारे में तुरंत निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हैं.
मराठा आरक्षण पर शरद पवार की चिंता
वहीं मराठा आरक्षण के मुद्दे पर शरद पवार ने अपनी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि आरक्षण पर कई बार चर्चा की गई है और जबकि कुछ पहलुओं में आशा है, अन्य मुद्दों को लेकर चिंता बनी हुई है. पवार ने स्वीकार किया कि मराठवाड़ा में स्थिति ठीक नहीं है और इसे सुधारने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि मनोज जारांगे और ओबीसी नेताओं को बुलाकर समस्या का समाधान किया जाए. पवार ने यह भी कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए और महाराष्ट्र में किसी भी मुद्दे का समाधान शरद पवार के बिना संभव नहीं होता.