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उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी महाविकास अघाड़ी से तौबा की तैयारी में !

महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी सरकार जाते ही कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना के भीतर की अंदरूनी कलह और एक दूसरे से अलग हटकर फैसला लेने की तैयारी दिखने लगी है.

महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी सरकार जाते ही कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना के भीतर की अंदरूनी कलह और एक दूसरे से अलग हटकर फैसला लेने की तैयारी दिखने लगी है.

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Iftekhar Ahmed
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Uddhav Thackerey and sharad Pawar

उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी महाविकास अघाड़ी से तौबा की तैयारी में ! ( Photo Credit : File Photo)

महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी सरकार जाते ही कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना के भीतर की अंदरूनी कलह और एक दूसरे से अलग हटकर फैसला लेने की तैयारी दिखने लगी है. राज्य में अभी महाविकास अघाड़ी को सरकार से उतरे 15 दिन ही हुए होंगे, लेकिन उद्धव टाकरे की शिवसेना ने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की सीट पर दावा ठोक दिया है. शिवसेना की विधान परिषद सदस्य मनीषा कांयंदे ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधान परिषद से इस्तीफा नहीं दिया है और ऐसे में शिवसेना के सबसे ज्यादा 13 विधान परिषद सदस्य हैं. इसलिए शिवसेना ने उप सभापति नीलम गोरे को पत्र लिखकर आधिकारिक तौर पर विधान परिषद में अपोजिशन का दर्जा देने की मांग की है. 

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शहरों के नाम बदलने पर भी बढ़ी तकरार
गौरतलब है कि शिनसेना की मांग के एक दिन पहले ही एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि नाम बदलने का जो फैसला आखिरी कैबिनेट में लिया गया था, उससे NCP सहमत नहीं है.  औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने की बात महाविकास आघाडी के कॉमन एजेंडे में नहीं थी और न ही कोई बातचीत हुई थी. वहीं, कांग्रेस के विधानमंडल दल के नेता बाला साहब थोरात ने कहा कि नाम बदलने का जो फैसला था, वह पहले से नहीं बताया गया था और अचानक कैबिनेट में लाया गया  था.  हालांकि, तब भी कांग्रेस ने इसका विरोध किया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस आगे भी इस तरह के फैसलों का विरोध करती रहेगी. 

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इन सब से उलट बीजेपी नेता प्रवीण दरेकर ने कहा कि यह सब महाविकास आघाडी का झूठ है, क्योंकि महा विकास आघाडी को अब लगता है कि इससे उनको नुकसान होगा, इसलिए यह बात कह रहे हैं. कैबिनेट में जब यह मुद्दा आया तो उसका विरोध क्यों नहीं किया गया. अब सरकार गिरते ही जिस तरीके से कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के भीतर मतभेद और विरोधाभास सामने आ रहे हैं, उससे साफ लगता है कि महा विकास आघाडी का भविष्य सरकार गिरने के बाद खत्म होने के कगार पर है. हालांकि, अभी कानूनी लड़ाई चल रही है और ऐसे में उद्धव ठाकरे ग्रुप की पूरी कोशिश है कि शिवसेना को टूटने से बचाया जा सके.

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लिहाजा, पार्टी को टूटने के बचाने के लिए पूरी पार्टी महाविकास अघाडी से अलग होकर भाजपा के साथ जा सकती है. राष्ट्रपति चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे की शिवसेना सांसदों के साथ हुई बैठक में भी कुछ इसी तरह के संदेश बाहर निकल कर आ रहे हैं. बताया जाता है कि ज्यादातर सांसदों ने बैठक में उद्धव ठाकरे से एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन देने की सलाह दी थी. हालांकि, अभी तक शिवसेना की ओर से अधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है. 

Source : Abhishek Pandey

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