उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी महाविकास अघाड़ी से तौबा की तैयारी में !
महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी सरकार जाते ही कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना के भीतर की अंदरूनी कलह और एक दूसरे से अलग हटकर फैसला लेने की तैयारी दिखने लगी है.
मुंबई:
महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी सरकार जाते ही कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना के भीतर की अंदरूनी कलह और एक दूसरे से अलग हटकर फैसला लेने की तैयारी दिखने लगी है. राज्य में अभी महाविकास अघाड़ी को सरकार से उतरे 15 दिन ही हुए होंगे, लेकिन उद्धव टाकरे की शिवसेना ने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की सीट पर दावा ठोक दिया है. शिवसेना की विधान परिषद सदस्य मनीषा कांयंदे ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधान परिषद से इस्तीफा नहीं दिया है और ऐसे में शिवसेना के सबसे ज्यादा 13 विधान परिषद सदस्य हैं. इसलिए शिवसेना ने उप सभापति नीलम गोरे को पत्र लिखकर आधिकारिक तौर पर विधान परिषद में अपोजिशन का दर्जा देने की मांग की है.
शहरों के नाम बदलने पर भी बढ़ी तकरार
गौरतलब है कि शिनसेना की मांग के एक दिन पहले ही एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि नाम बदलने का जो फैसला आखिरी कैबिनेट में लिया गया था, उससे NCP सहमत नहीं है. औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने की बात महाविकास आघाडी के कॉमन एजेंडे में नहीं थी और न ही कोई बातचीत हुई थी. वहीं, कांग्रेस के विधानमंडल दल के नेता बाला साहब थोरात ने कहा कि नाम बदलने का जो फैसला था, वह पहले से नहीं बताया गया था और अचानक कैबिनेट में लाया गया था. हालांकि, तब भी कांग्रेस ने इसका विरोध किया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस आगे भी इस तरह के फैसलों का विरोध करती रहेगी.
ये भी पढ़ेंः JEE मेन्सः 14 छात्रों ने हासिल किए 100 में से 100 अंक, फिर भी नहीं बने टॉपर
इन सब से उलट बीजेपी नेता प्रवीण दरेकर ने कहा कि यह सब महाविकास आघाडी का झूठ है, क्योंकि महा विकास आघाडी को अब लगता है कि इससे उनको नुकसान होगा, इसलिए यह बात कह रहे हैं. कैबिनेट में जब यह मुद्दा आया तो उसका विरोध क्यों नहीं किया गया. अब सरकार गिरते ही जिस तरीके से कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के भीतर मतभेद और विरोधाभास सामने आ रहे हैं, उससे साफ लगता है कि महा विकास आघाडी का भविष्य सरकार गिरने के बाद खत्म होने के कगार पर है. हालांकि, अभी कानूनी लड़ाई चल रही है और ऐसे में उद्धव ठाकरे ग्रुप की पूरी कोशिश है कि शिवसेना को टूटने से बचाया जा सके.
यह भी पढ़ें-भाजपा नेता ने छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री को बताया आयटम गर्ल, फिर जो हुआ...
लिहाजा, पार्टी को टूटने के बचाने के लिए पूरी पार्टी महाविकास अघाडी से अलग होकर भाजपा के साथ जा सकती है. राष्ट्रपति चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे की शिवसेना सांसदों के साथ हुई बैठक में भी कुछ इसी तरह के संदेश बाहर निकल कर आ रहे हैं. बताया जाता है कि ज्यादातर सांसदों ने बैठक में उद्धव ठाकरे से एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन देने की सलाह दी थी. हालांकि, अभी तक शिवसेना की ओर से अधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
-
SRH vs RR Pitch Report : बल्लेबाज मचाएंगे धमाल या गेंदबाज मारेंगे बाजी? जानें कैसी होगी हैदराबाद की पिच
-
T20 World Cup 2024 टीम में नहीं मिला SRH और LSG के एक भी खिलाड़ी को मौका, IPL के इस टीम का दबदबा
-
CSK vs PBKS Dream11 Prediction : चेन्नई और पंजाब के मैच में ये हो सकती है ड्रीम11 टीम, इन्हें चुने कप्तान
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Ganga Dussehra 2024: इस साल गंगा दशहरा पर बन रहा है दुर्लभ योग, इस शुभ मुहूर्त में स्नान करें
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीय के दिन करें ये उपाय, चुम्बक की तरह खिंचा चला आएगा धन!
-
May 2024 Panchak: आज से शुरू हुआ है गुरू पंचक, अगले 5 दिन ना करें कोई शुभ काम
-
Love Rashifal 2 May 2024: प्रेम और वैवाहिक जीवन के लिए कैसा रहेगा गुरुवार का दिन, पढ़ें लव राशिफल