शरद पवार ने कहा, कश्मीर से कन्याकुमारी तक की मौजूदगी वाली कांग्रेस अतीत की बात
राकांपा अध्यक्ष ने कहा, हम मानते हैं एक समय था जब कश्मीर से कन्याकुमारी तक कांग्रेस की मौजूदगी थी लेकिन अब वह स्थिति नहीं है.
highlights
- कांग्रेस ऐसे कमजोर जमींदार की तरह है जो अब अपना घर नहीं संभाल सकता
- राकांपा महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की विचारधारा का अनुसरण करती है
- नेतृत्व के मुद्दे पर कांग्रेस के नेता बहुत ‘‘संवेदनशील’’ हैं और किसी भी सुझाव को मानने के लिए तैयार नहीं
नई दिल्ली:
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार एक बार फिर कांग्रेस पर हमलावर है. पवार ने देश भर में कांग्रेस की स्थिति को कमजोर बताते हुए कहा कि "कांग्रेस ऐसे कमजोर जमींदार की तरह है जो अब अपना घर नहीं संभाल सकता." पवार सिर्फ कांग्रेस की खिसकती राजनीतिक जमीन पर ही चर्चा नहीं की बल्कि नेतृत्व के मसले पर भी दो टूक राय रखी. उन्होंने कहा कि नेतृत्व के मुद्दे पर कांग्रेस के नेता बहुत ‘‘संवेदनशील’’ हैं और किसी भी सुझाव को मानने के लिए तैयार नहीं हैं. मराठी न्यूज पोर्टल ‘मुंबई तक’ से राकांपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम मानते हैं…एक समय था जब कश्मीर से कन्याकुमारी तक कांग्रेस की मौजूदगी थी…लेकिन अब वह स्थिति नहीं है.’’
राकांपा अध्यक्ष का इस तरह से कांग्रेस पर हमले के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में राकांपा कांग्रेस के साथ गठबंधन के सवाल पर नेतृत्व का मुद्दा उठा सकती है. दरअसल एनडीए के समानांतर विपक्षी एकता के लिए एक सर्वमान्य नेता की कमी रही है. कांग्रेस नेता अपने पार्टी अध्यक्ष को ही गठबंधन का नेता मानने की अपेक्षा रखते हैं. जबकि सच्चाई ये है कि विपक्ष के कई नेता अनुभवी और उम्रदराज हैं जो सोनिया गांधी का नेतृत्व तो स्वीकार कर लेते हैं लेकिन उनके लिए राहुल गांधी को बतौर गठबंधन का नेता मानना स्वीकार्य नहीं होता है.
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महाराष्ट्र में शिवसेना नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार में राकांपा और कांग्रेस भी घटक है. पवार ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में एक जमींदार के पास कभी बहुत जमीन और एक हवेली थी. फिर उसने ज्यादातर जमीन खो दी…हवेली खड़ी है लेकिन वह इसकी मरम्मत नहीं करा सकता…वह कहता है कि वह सारी जमीन मेरी थी, लेकिन यह अतीत की बात है.’’
सोनिया गांधी के नेतृत्व का विरोध करने के बाद 1999 में कांग्रेस छोड़ने वाले राकांपा सुप्रीमो ने हालांकि यह भी कहा कि उनकी पार्टी महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की विचारधारा का अनुसरण करती है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ मतभेद केवल कार्यशैली को लेकर थे.
महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद शिवसेना के साथ गठबंधन के बारे में पवार ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, और राहुल गांधी उन चर्चाओं का हिस्सा नहीं थे. पवार के बयानों पर टिप्पणी करते हुए, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने (पवार ने) ‘‘कांग्रेस को आईना दिखाया है.’’
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