Maharashtra News: यह कहानी महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के दैत्य नांदूर गांव की है, जहां सदियों से चली आ रही एक अनोखी परंपरा और आस्था ने सबको चौंका दिया है. इस गांव में हनुमान जी का नाम लेना भी वर्जित है. यहां के लोग हनुमान जी के बजाय एक दैत्य 'निंबा दैत्य' की पूजा करते हैं और मानते हैं कि वही उनके रक्षक और आराध्य हैं.
क्या है रहस्य?
दैत्य नांदूर गांव में हनुमान जी की मूर्ति, तस्वीर, नाम, या उनसे जुड़ी कोई चीज़ जैसे ‘मारुति कार’ तक लाना भी अशुभ माना जाता है. गांव के लोग मानते हैं कि भगवान राम ने निंबा दैत्य को इस गांव की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी थी, इसलिए यहां उसी की पूजा होती है. हनुमान जी के नाम या उपनाम वाले लोगों से यहां शादी करना भी वर्जित माना जाता है.
आस्था या अंधविश्वास?
गांव वालों के अनुसार, हनुमान जी का नाम लेने से अनहोनी हो जाती है. जैसे कि मारुति ब्रांड की गाड़ी लाने से दुर्घटनाएं होना. किसी मजदूर का नाम मारुति होने पर बीमार पड़ जाना, और फिर उसका नाम बदलने के बाद ही ठीक होना.
सामाजिक जीवन पर असर
गांव के लोग अगर बाहर (जैसे मुंबई, पुणे या विदेश) भी चले जाएं, तो भी वे निंबा दैत्य की ही पूजा करते हैं. जो लड़कियां शादी के बाद गांव आती हैं, वे भी स्वतः इस परंपरा को अपना लेती हैं और हनुमान जी की पूजा नहीं करतीं.
बाकी देवताओं की पूजा?
हां, यहां के लोग गणेश जी, कृष्ण जी, साईं बाबा, आदि की पूजा करते हैं पर हनुमान जी की नहीं.
क्या है हनुमान जी और निंबा दैत्य के बीच शत्रुता का कारण?
इस सवाल का जवाब गांव की लोककथाओं और परंपराओं में छिपा है, जिसे पूरी तरह समझने के लिए और गहराई में जाना होगा. भारत में जहां हनुमान जी को कलयुग का सबसे प्रभावशाली देवता माना जाता है, वहीं एक गांव ऐसा भी है जहां उनकी पूजा नहीं, बल्कि एक दैत्य की आराधना होती है. यह आस्था है, परंपरा है या अंधविश्वास, यह तो समय और शोध ही तय करेगा.
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