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Mumbai Hostage Case: मुंबई में बच्चों को बंधक बनाने की सनसनीखेज़ घटना का अंत पुलिस मुठभेड़ में आरोपी रोहित आर्य की मौत के साथ हुआ. गुरुवार शाम हुई इस घटना में पुलिस ने बताया कि आत्मसमर्पण के लिए कहने पर आरोपी ने पुलिस टीम पर फायरिंग की, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया. लेकिन आखिर रोहित ने ये खौफनाक कदम क्यों उठाया, आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी, रोहित बच्चों को बंधक बनाकर किससे बात करना चाहता था. इन सब सवालों से पर्दा उठ गया है.
पुलिस की अपील के बाद की थी फायरिंग
सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने आर्या से कई बार कहा कि वह बच्चों को सुरक्षित छोड़कर आत्मसमर्पण कर दे, लेकिन उसने पुलिस टीम पर गोलियां चला दीं. जवाब में हुई फायरिंग में आर्या को गोली लगी और मौके पर ही उसकी मौत हो गई. पुलिस ने सभी बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया. यह घटना शहर में अफरा-तफरी फैलाने वाली रही, लेकिन पुलिस की त्वरित कार्रवाई से बड़ा हादसा टल गया.
सरकारी प्रोजेक्ट में फंसे पैसे बने तनाव की वजह
जांच से जुड़े सूत्रों की मानें तो रोहित आर्य एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ ठेकेदार था, जिसने महाराष्ट्र सरकार की 'मुख्यमंत्री मेरी शाला, सुंदर शाला' पहल के तहत चलाए गए 'पीएलसी स्वच्छता मॉनिटर परियोजना' में काम किया था. रोहित का आरोप था कि इस परियोजना के लिए आवंटित लगभग दो करोड़ रुपए का भुगतान उसे नहीं मिला. पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के कार्यकाल में उसके प्रोजेक्ट को मंज़ूरी मिली थी, लेकिन भुगतान अधर में लटक गया.
लेट्स चेंज अभियान से शुरू हुआ था सफर
रोहित आर्या ने वर्ष 2013 में ‘लेट्स चेंज’ अभियान की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य स्कूलों में बच्चों को स्वच्छता दूत बनाना था. बताया जाता है कि 2022 में उसने अपने निजी खर्च पर इस परियोजना को कई स्कूलों में शुरू किया. लेकिन जब जनवरी 2024 के बाद उसे कोई भुगतान नहीं मिला, तो वह मानसिक रूप से परेशान हो गया.
भूख हड़ताल और आश्वासन के बावजूद नहीं मिला समाधान
निराश रोहित ने जुलाई और अगस्त 2024 में भूख हड़ताल की थी. उसने दावा किया था कि पूर्व मंत्री दीपक केसरकर ने उसे दो चेक- 7 लाख और 8 लाख रुपए दिए और बाकी राशि बाद में देने का वादा किया. हालांकि, उसके अनुसार, शेष भुगतान कभी नहीं हुआ. आर्य ने यह भी आरोप लगाया था कि अभियान के तहत सबसे स्वच्छ स्कूलों को जानबूझकर कम अंक दिए गए और राजनीतिक प्रभाव वाले स्कूलों को विजेता घोषित किया गया. रोहित का दावा था कि ‘माझी शाळा, सुंदर शाळा’ प्रोजेक्ट का कॉन्सेप्ट उसी का था, लेकिन सरकार ने उसका आइडिया और फिल्म के राइट्स इस्तेमाल करने के बाद भी उसे क्रेडिट नहीं दिया.
टूटा रोहित का सब्र और कर बैठा सबसे बड़ा अपराध
पैसे न मिलने और लगातार उपेक्षा झेलने से आर्या मानसिक रूप से टूट गया था. उसने कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई, पर समाधान नहीं मिला. आख़िरकार, उसने ग़ुस्से और निराशा में आकर बच्चों को बंधक बनाने की घटना को अंजाम दिया, जो उसकी ज़िंदगी का आख़िरी कदम साबित हुआ.
जेजे अस्पताल में हुआ पोस्टमॉर्टम, जांच जारी
मुंबई पुलिस ने घटना की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की है. टीम अब इस बात की तहकीकात कर रही है कि रोहित आर्या के आरोपों में कितनी सच्चाई है और क्या उसके दावों के पीछे कोई वित्तीय या प्रशासनिक लापरवाही रही थी. मौत के बाद रोहित का पोस्टमॉर्टम जेजे अस्पताल में हुआ है.
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