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Ajit and Parth Pawar Photograph: (NN)
Parth Pawar Land scam case: महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार मुश्किल में पड़ गए हैं. उनसे जुड़ी एक कंपनी पर पुणे की करीब 300 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन की बिक्री में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं. इस विवाद के सामने आने के बाद राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले को प्रथम दृष्टया गंभीर बताया है और संबंधित विभागों से पूरी जानकारी मांगी है, जबकि अजित पवार का कहना है कि उनका इस सौदे से कोई कनेक्शन नहीं है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पुणे के मुंधवा इलाके में करीब 40 एकड़ सरकारी (महार वतन) जमीन को अमादिया इंटरप्राइजेज एलएलपी नाम की एक निजी कंपनी को 300 करोड़ रुपये में बेचा गया. यह कंपनी पार्थ पवार और दिग्विजय अमर सिंह पाटिल की है. आरोप है कि इस सौदे में स्टांप ड्यूटी माफ कर दी गई, जिससे सरकार को लगभग 6 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
जमीन की प्रकृति और बिक्री की प्रक्रिया
- यह जमीन मूल रूप से सरकारी थी और इसे निजी कंपनी को बेचना कानूनी रूप से गलत है.
- जमीन की बिक्री शीतल तेजवानी नाम के व्यक्ति ने की, जिसके पास इस संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी था.
- इस जमीन पर 272 लोगों के नाम दर्ज थे, जबकि 7/12 एक्सट्रैक्ट में यह भूमि मुंबई सरकार के नाम पर थी.
जांच और कार्रवाई
संयुक्त जिला रजिस्ट्रार संतोष हिंगाने ने इस मामले में दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी और सब-रजिस्ट्रार आर. बी. तारू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर सरकारी जमीन को निजी सौदे में बदलने की कोशिश की और स्टांप शुल्क लिए बिना ही दस्तावेज तैयार किया. वहीं, सब-रजिस्ट्रार आर. बी. तारू को निलंबित कर दिया गया है. अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खर्गे की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच समिति बनाई गई है.
सरकारी अधिकारियों की प्रतिक्रिया
पंजीयन महानिरीक्षक रविंद्र बिनवाडे ने कहा कि समिति यह जांचेगी कि सरकारी जमीन कैसे बेची गई और क्या छूट नियमों के अनुसार दी गई थी. उनका कहना है कि यदि यह सरकारी भूमि थी, तो इसका पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) कदापि नहीं होना चाहिए था. यह मामला सरकारी जमीन के निजीकरण, स्टांप ड्यूटी की छूट और संभावित भ्रष्टाचार से जुड़ा है. फिलहाल, सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है, जबकि अजित पवार ने अपने बेटे पार्थ या खुद को इस विवाद से पूरी तरह अलग बताया है.
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