Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. हाल ही में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच बंद कमरे में एक अहम बैठक हुई. यह मुलाकात विधान परिषद के सभापति राम शिंदे के कक्ष में हुई, जहां दोनों नेता लगभग 10 मिनट तक अकेले चर्चा करते रहे. इस बैठक में और कोई मौजूद नहीं था, जिससे चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.
हालांकि इस गोपनीय बैठक में क्या चर्चा हुई, इसकी आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक बातचीत का विषय विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद, त्रिभाषा फार्मूला और हिंदी भाषा की अनिवार्यता जैसे मुद्दे रहे.
ठाकरे ने सीएम और विधान परिषद को भेंट की पुस्तक
बैठक से पहले उद्धव ठाकरे अपने बेटे और विधायक आदित्य ठाकरे के साथ मुख्यमंत्री फडणवीस और सभापति राम शिंदे से भी मिले. इस दौरान उद्धव ने दोनों नेताओं को एक विशेष पुस्तक भेंट की. यह पुस्तक विभिन्न संपादकों द्वारा मराठी और हिंदी भाषा की अनिवार्यता पर लिखे गए संपादकीयों और लेखों का संकलन है. उद्धव ठाकरे ने खास तौर पर यह पुस्तक "हिंदी अनिवार्य क्यों?" मुख्यमंत्री को दी, जिस पर फडणवीस ने सुझाव दिया कि इसे समिति के अध्यक्ष नरेंद्र जाधव को भी दिया जाए.
इससे पहले भी मुख्यमंत्री फडणवीस ने विधानसभा में कहा था कि 2029 तक भाजपा विपक्ष में नहीं आने वाली. उन्होंने इशारों में उद्धव ठाकरे को सत्ता पक्ष में शामिल होने का ऑफर दिया था. उन्होंने कहा, "उद्धव जी सत्ता पक्ष में एक अलग तरीके से आ सकते हैं, इस पर विचार किया जा सकता है."
2019 में गठबंधन में आई थी दरार
बता दें कि 2019 में चुनाव जीतने के बाद शिवसेना और भाजपा का गठबंधन मुख्यमंत्री पद को लेकर टूट गया था. इसके बाद उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई थी. लेकिन अब शिवसेना और भाजपा नेताओं की बढ़ती नजदीकियां राजनीति में नए समीकरणों के संकेत दे रही हैं.
यह भी पढ़ें: Maharashtra Politics: देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच अनबन? खुद CM-डिप्टी सीएम ने दिया जवाब
यह भी पढ़ें: Maharashtra Politics: उद्धव गुट को एक और नुकसान, अब शिंदे ने इस कद्दावर नेता से मिलाया हाथ