महाराष्ट्र के करीब 500 गांवों में तेंदुए और बाघ का खतरा लगातार बढ़ रहा है. डर के कारण ग्रामीण खेतों और जंगल में जाते समय गर्दन पर कीलों वाली सुरक्षा बेल्ट पहनकर अपनी जान बचा रहे हैं.
Maharashtra: महाराष्ट्र के गांवों में पिछले चार साल से गुलदार (तेंदुआ) का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. गांव के लोगों के लिए खेतों में जाना अब डर से भरा काम बन गया है. पहले सिर्फ पालतू कुत्तों को सुरक्षा पट्टा पहनाया जाता था, लेकिन अब लोग खुद अपनी गर्दन पर यह मोटा सुरक्षा पट्टा पहनकर खेतों में काम करने जा रहे हैं. गांव के लोगों ने बताया कि तेंदुआ सबसे पहले गला पकड़कर हमला करता है, ऐसे में यह पट्टा पहनने से लगभग 20 प्रतिशत सुरक्षा मिलती है. एक ग्रामीण ने कहा, ‘तकलीफ होती है, भारी लगता है, पर जान सबसे प्यारी है. इसलिए पहनना पड़ता है.’
तेंदुए के हमले के बढ़े मामले
ग्रामीणों के अनुसार पिछले कुछ महीनों में तेंदुए के हमले काफी बढ़े हैं. सिर्फ एक महीने में तीन लोगों पर जानलेवा हमला हुआ है- एक बुजुर्ग महिला, 13 साल का लड़का और एक 5 साल की बच्ची इसका शिकार हो चुके हैं. अब हालत ऐसी है कि गांव के छोटे बच्चों को घरों में बंद करके रखा जाता है और बड़े लोग हाथों में हथियार और गर्दन पर सुरक्षा पट्टा पहनकर ही बाहर निकलते हैं.
दहशत के माहौल में रह रहे लोग
ग्रामीण बताते हैं कि उन्हें खेतों में काम करने के लिए मजबूरी में जाना पड़ता है क्योंकि पशुओं के लिए चारा और परिवार के लिए खाने का इंतजाम करना जरूरी है. सरकार द्वारा कुछ कदम उठाए गए हैं लेकिन ग्रामीणों को लगता है कि तेंदुए को पकड़कर जंगलों में छोड़ना ही एकमात्र समाधान है. एक किसान ने भावुक होकर कहा- ‘हम जिंदगी भर ये पट्टा पहनकर नहीं रह सकते. सरकार अगर इसे पकड़ ले और जंगल में छोड़ दे तो ही हमारी जिंदगी फिर से सामान्य होगी.’ गांव में डर का माहौल अभी भी जारी है और लोग हर दिन दहशत में जी रहे हैं.
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