अपने ही मंत्री को हटाने के लिए कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे को लिखा पत्र, जानें मामला
कांग्रेस नेता आशीष देशमुख ने चिट्ठी में लिखा कि पार्टी के मंत्री सुनील केदार को कैबिनेट से हटाया जाए.
highlights
- विधायक आशीष देशमुख ने लिखी उद्धव ठाकरे के चिट्ठी
- भ्रष्टाचार के एक मामले का किया चिट्ठी में जिक्र
- भ्रष्टाचार के मामले में दोस्त को सरकारी वकील बनाने का आरोप
मुंबई:
महाराष्ट्र में कांग्रेस कोटे से एक मंत्री को कैबिनेट से हटाने के लिए खुद कांग्रेस नेता ने ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी है. कांग्रेस नेता कहना है कि मंत्री के ऊपर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज है. इसकी जांच के लिए उन्होंने अपने ही दोस्त को सरकारी वकील बनाया है. कांग्रेस नेता आशीष देशमुख ने चिट्ठी में लिखा कि पार्टी के मंत्री सुनील केदार को कैबिनेट से हटाया जाए. देशमुख ने अपनी चिट्ठी में आरोप लगाया है कि सुनील केदार ने अपने खिलाफ चल रहे एक केस में अपने दोस्त को ही सरकारी वकील बनाया है. उन्होंने यह भी कहा है कि वकील प्रदेश कांग्रेस की लीगल सेल का मुखिया रह चुका है इसलिए यह मामला 'कन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट' का है.
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कांग्रेस विधायक आशीष देशमुख ने यह चिट्ठी 22 अगस्त को लिखी थी. देशमुख ने लिखा कि कांग्रेस नेता केदार और 10 अन्य लोगों पर साल 2002 में नागपुर जिले के सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक में 150 करोड़ रुपये के हेरफेर से जुड़े मामले में केस चल रहा है. उद्धव ठाकरे को लिखी चिट्ठी में लिखा कि इस मामले की सुनवाई अब आखिरी चरण में है और कोर्ट बीते 19 सालों से अलग-अलग कारणों से इस मामले को लंबित रखे हुए थी.
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आशीष देशमुख ने अपनी चिट्ठी में यह भी आरोप लगाया कि केदार ने अपने दोस्त को सरकारी वकील इसलिए नियुक्त किया है ताकि वह उनके खिलाफ मजबूती से केस न लड़े और वह केस से बरी हो जाए. देशमुख ने न सिर्फ वकील की नियुक्ति को खारिज करने की मांग की है बल्कि यह भी कहा है कि केदार की राज्य कैबिनेट से भी छुट्टी की जाए.
देशमुख ने दावा किया कि मामले में सुनवाई अब अंतिम चरण में है और केदार विभिन्न कारणों का हवाला देकर पिछले 19 वर्षों से अदालत में मामले में देरी कर रहे हैं. उन्होंने लगाया कि केदार ने अपने एक वकील मित्र को सरकारी वकील के रूप में ‘‘इस उद्देश्य से नियुक्त कराया कि वह उनके खिलाफ मामले में मजबूती से पैरवी नहीं करें, ताकि उनका बरी होना संभव हो सके.” देशमुख ने मामले में सरकारी वकील के रूप में वकील की नियुक्ति को रद्द करने और केदार को राज्य मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की.
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