Chandrapur: महाराष्ट्र का चंद्रपुर जिला एक बार फिर बाघों के हमलों को लेकर चर्चा में है. बाघों की बढ़ती संख्या और इंसानों के बीच बढ़ते टकराव के चलते स्थिति चिंताजनक हो गई है. बीते 17 दिनों में जिले के अलग-अलग इलाकों से कुल 11 लोगों के बाघ का शिकार बनने की खबरें सामने आई हैं. इससे लोगों में डर और आक्रोश दोनों ही बढ़ता जा रहा है.
रिहायशी इलाकों में पहुंचा बाघ
ताड़ोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व, जो एशिया का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व माना जाता है, चंद्रपुर जिले में ही स्थित है. यहां बाघ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं और वे जंगल में बिल्कुल स्वच्छंद घूमते नजर आते हैं. लेकिन अब ये बाघ रिहायशी इलाकों तक पहुंचने लगे हैं, जिससे मानव-बाघ संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.
अभी तक नहीं लगा कोई सुराग
ताजा मामला सोमवार का है, जब बाघ ने एक महिला और एक पुरुष को अलग-अलग स्थानों पर अपना शिकार बनाया. घटना के बाद वन विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड में आ गया है. जिस इलाके में महिला पर हमला हुआ, वहां वन विभाग की टीमें गश्त कर रही हैं. इलाके में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, लेकिन अभी तक उस बाघ का कोई सुराग नहीं मिला है.
वन विभाग की ओर से मौके पर पिंजरा लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है ताकि बाघ को पकड़कर जंगल में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा सके. हालांकि अभी तक बाघ को पकड़ने में सफलता नहीं मिल सकी है.
स्थानीय लोगों में फूटा गुस्सा
स्थानीय लोगों का गुस्सा भी फूट पड़ा है. बताया जा रहा है कि सोमवार को जिन दो लोगों की जान गई, उनका अंतिम संस्कार भी अभी नहीं हुआ है. लोगों का कहना है कि वन विभाग को पहले ही सतर्कता बरतनी चाहिए थी और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम करने चाहिए थे.
जल्द पकड़ा जाएगा बाघ
फिलहाल, वन विभाग की टीमें पूरी मुस्तैदी से काम कर रही हैं और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस बाघ को पकड़कर लोगों को राहत दी जा सकेगी. लेकिन इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि इंसान और वन्य जीवों के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए?
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