महाराष्ट्र: निशिकांत और राज ठाकरे के बयान पर बोलीं शिवसेना नेता, कहा- 'हमें इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा'

Maharashtra: यह पूरा विवाद अब राजनीति के स्तर और नेताओं की सोच पर बड़ा सवाल बन गया है. देश को जोड़ने वाली भाषा अब तोड़ने का कारण बन रही है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि सभी नेता शालीनता और समझदारी से आगे बढ़ें, ताकि देश की विविधता उसकी ताकत बनी रहे.

Maharashtra: यह पूरा विवाद अब राजनीति के स्तर और नेताओं की सोच पर बड़ा सवाल बन गया है. देश को जोड़ने वाली भाषा अब तोड़ने का कारण बन रही है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि सभी नेता शालीनता और समझदारी से आगे बढ़ें, ताकि देश की विविधता उसकी ताकत बनी रहे.

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Yashodhan.Sharma
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Nishikant-Raj Thackeray

Nishikant-Raj Thackeray Photograph: (Social)

Maharashtra News: देश में इन दिनों भाषा को लेकर सियासी जंग छिड़ी हुई है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बीच जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. मामला अब व्यक्तिगत चुनौती और हिंसात्मक भाषा तक पहुंच चुका है, जिस पर अब सियासी गलियारों में भी तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

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ये है पूरा बवाल

दरअसल, हाल ही में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बयान दिया था कि अगर राज ठाकरे उत्तर प्रदेश या बिहार आए तो 'पटक कर मारेंगे'. इसके जवाब में राज ठाकरे ने पलटवार करते हुए कहा, 'अगर निशिकांत दुबे मुंबई आए तो समुंदर में डुबो-डुबोकर मारेंगे.' यह बयान आते ही सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक मंचों तक बवाल मच गया.

निशिकांत दुबे ने भी राज ठाकरे पर तंज कसते हुए एक पोस्ट में लिखा कि, 'राज ठाकरे को हमने हिंदी सिखा दी.' उनके इस बयान को लेकर एमएनएस के समर्थकों में गुस्सा है, वहीं भाजपा के कुछ नेता इस पर सफाई देते नजर आए.

बयानबाजी के बीच भाजपा नेता का बयान

भाजपा नेता और विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने कहा, 'यह देश संविधान से चलता है. कोई किसी को समंदर में डुबोकर मार नहीं सकता. ऐसे शब्दों का प्रयोग निंदनीय है. कानून को हाथ में लेने की इजाजत किसी को नहीं है.'

शिवसेना शिंदे गुट की नेता ने बयान पर जताई चिंता

वहीं शिवसेना शिंदे गुट की नेता शाइना एनसी ने इस पूरे विवाद पर चिंता जताते हुए कहा, 'हमें ऐसी मानसिकता से बाहर निकलना होगा. जो नेता ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें महाराष्ट्र के विकास पर बात करनी चाहिए. यह ‘डुबा-डुबा कर मारने’ जैसी भाषा हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है.'

उन्होंने आगे कहा, 'महाराष्ट्र और भारत तेजी से विकास की दिशा में बढ़ रहे हैं. ऐसे में राजनीतिक गुंडागर्दी की नहीं, नीति और विज़न की जरूरत है. जनता नेताओं को उनके विचारों पर वोट देती है, न कि हाथापाई या धमकी भरे बयानों पर.'

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