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BMC Election 2026: क्या महाराष्ट्र में एक बार फिर खेला होने वाला है? क्या महायुति में सबकुछ ठीक नहीं है. दरअसल बीएमसी चुनाव के नजदीक आते-आते महायुति में दरार जैसी खबरें भी सामने आ रही हैं. सूत्रों की मानें तो अब बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) अपनी-अपनी राह पर हैं. ठाणे महानगरपालिका चुनाव से पहले महायुति के भीतर खींचतान खुलकर सामने आ गई है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना (शिंदे गुट) ने अब एक-दूसरे से अलग राह पकड़ ली है. दोनों दलों की ओर से स्वतंत्र रूप से चुनाव प्रचार शुरू करना इस बात का संकेत है कि गठबंधन के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा.
गठबंधन की बैठकें बेनतीजा, बढ़ी नाराजगी
पिछले कई दिनों से यह चर्चा थी कि ठाणे को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच सहमति नहीं बन पा रही है. सीट शेयरिंग और रणनीति को लेकर कई दौर की बैठकें हुईं, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका. इसी से नाराज होकर शिंदे गुट की शिवसेना ने ठाणे में अकेले प्रचार करने का फैसला लिया.
बीजेपी ने भी ठाणे में झोंकी पूरी ताकत
शिवसेना के इस कदम के बाद बीजेपी ने भी इंतजार न करते हुए अपना अलग चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. बीजेपी ने पूरे ठाणे शहर में करीब 16 प्रमुख स्थानों पर बड़े-बड़े बैनर लगाए हैं. इन बैनरों पर 'नमो भारत, नमो ठाणे' का नारा दिया गया है, जिसमें केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की योजनाओं और विकास कार्यों को प्रमुखता से दिखाया गया है.
शिंदे का गढ़ माना जाता है ठाणे
ठाणे को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का राजनीतिक गढ़ माना जाता है. ऐसे में यहां बीजेपी का अलग प्रचार अभियान शुरू करना सियासी तौर पर बेहद अहम माना जा रहा है. यही वजह है कि इस कदम को महायुति के लिए एक बड़ा संकेत माना जा रहा है कि अंदरखाने मतभेद अब सतह पर आ चुके हैं.
सीट शेयरिंग बना सबसे बड़ा रोड़ा
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि ठाणे में सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बन सकी. शिवसेना की ओर से गठबंधन को लेकर अब तक कोई अंतिम प्रस्ताव सामने नहीं आया है. वहीं चुनाव की समय-सीमा नजदीक होने के चलते बीजेपी ने अपने दम पर मैदान में उतरने का फैसला लिया.
अजित पवार का भी अलग रुख
उधर एनसीपी के अजित पवार का रुख भी इस चुनाव के चलते अलग ही नजर आ रहा है. लगातार शरद पवार से मुलाकात और फिर अचानक उनके फोन का आउट रीच होना ये संकेत दे रहा है कि उनकी अपनी अलग खिंचड़ी पक रही है. ऐसे में महायुति के दलों का अलग-अलग प्रचार करना कोई चुनावी रणनीति है या फिर सचमुच गठबंधन में दरारें पड़ गई हैं.
महाराष्ट्र की राजनीति में बढ़ सकती है हलचल
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि बीजेपी के इस कदम पर शिंदे गुट की शिवसेना क्या प्रतिक्रिया देती है. ठाणे जैसे अहम इलाके में दोनों सहयोगी दलों का आमने-सामने आना महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत भी माना जा रहा है. आने वाले दिनों में यह खींचतान और तेज हो सकती है.
ठाणे मनपा चुनाव से पहले महायुति की एकजुटता पर सवाल खड़े हो गए हैं. यदि यह दूरी और बढ़ती है, तो इसका असर न सिर्फ ठाणे बल्कि पूरे राज्य की सियासत पर देखने को मिल सकता है.
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