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100 करोड़ के 'लेटर बम' में सच्चाई कितनी? अनिल देशमुख के खिलाफ जांच HC के रिटायर्ड जज को

महाराष्ट्र में 'वसूली कांड' महाविकास अघाड़ी सरकार के लिए मुसीबत बन चुका है. मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के आरोपों के बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख मुश्किल में फंसे हैं.

Updated on: 28 Mar 2021, 01:41 PM

highlights

  • 'वसूली कांड' की जांच HC के रिटायर्ड जज को
  • इस मामले में फंसे हैं गृहमंत्री अनिल देशमुख
  • परमबीर सिंह ने लगाया था देशमुख पर आरोप

मुंबई:

महाराष्ट्र में 'वसूली कांड' महाविकास अघाड़ी सरकार के लिए मुसीबत बन चुका है. मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के आरोपों के बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख मुश्किल में फंसे हैं. इन आरोपों के आधार पर विपक्ष इस्तीफा मांग रहा तो अब सत्तारूढ़ दल के अंदर से भी अनिल देशमुख के खिलाफ आवाज उठने लगी है. महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में अनिल देशमुख पर निशाना साधा है तो इस बीच अब गृह मंत्री पर लगे आरोपों की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे.

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उद्धव सरकार ने अनिल देशमुख पर लगे आरोपों की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को सौंपने का फैसला किया है. इसकी जानकारी खुद गृह मंत्री ने दी है. उन्होंने कहा, 'जो आरोप मुझ पर पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर ने लगाए थे, मैंने उसकी जांच कराने की मांग की थी. मुख्यमंत्री और राज्य शासन ने मुझ पर लगे आरोपों की जांच उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज के द्वारा करने का निर्णय लिया है.' साथ में देशमुख ने यह भी कहा कि जो भी सच है, वह सामने आएगा.

उधर, इस मामले में आरोप लगाने वाले परमबीर सिंह देशमुख भी बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंच चुके हैं. हाल ही में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त ने हाईकोर्ट में एक आपराधिक मामले के संबंध में याचिका दायर की थी. उन्होंने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की. इससे पहले परम बीर सिंह ने देशमुख के खिलाफ लगाए गंभीर आरोपों के मद्देनजर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) की जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हालांकि शीर्ष अदालत ने उन्हें हाईकोर्ट में जाने की सलाह दी थी, जिसके बाद अब सिंह ने बंबई हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

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दरअसल, परमबीर सिंह ने हाल ही में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में गृहमंत्री देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए, जिसके बाद राज्य ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी भूचाल आ गया. उन्होंने आरोप लगाया कि देशमुख ने गिरफ्तार-निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे को प्रति माह 100 करोड़ रुपये उगाहने के लिए कहा था. महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार और देशमुख ने हालांकि पूर्व पुलिस आयुक्त सिंह के आरोपों को खारिज कर दिया है.

परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में यह दावा भी किया था कि अन्य बातों के अलावा उन पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ नेताओं की भूमिका की जांच करने और उन्हें दादर और नगर हवेली के सांसद मोहन डेलकर की 22 फरवरी के आत्महत्या के मामले में फंसाने के लिए दबाव डाला गया था.