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मुंबई tiss रिपोर्ट Photograph: (Grok AI)
बृह्नमुंबई महानगरपालिका चुनाव से पहले टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की एक रिपोर्ट एक बार फिर राजनीतिक बहस का विषय बन गई है. यह रिपोर्ट मूल रूप से 2024 के विधानसभा चुनावों के दौरान चर्चा में आई थी, लेकिन अब नगर निकाय चुनाव नजदीक आने के साथ ही इसे लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. मुंबई जैसे महानगर की जनसंख्या संरचना और सामाजिक संतुलन को लेकर उठाए गए सवालों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है.
BJP ने जताई गंभीर चिंता
भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए अवैध घुसपैठ का मुद्दा उठाया है. उनका कहना है कि जहां एक ओर बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें सामने आ रही हैं, वहीं दूसरी ओर मुंबई में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या बढ़ रही है. BJP का आरोप है कि इस स्थिति का असर न सिर्फ जनसंख्या संतुलन पर पड़ रहा है, बल्कि आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने पर भी पड़ सकता है.
जनसंख्या आंकड़ों ने खींचा ध्यान
TISS की रिपोर्ट के अनुसार 1961 में मुंबई में हिंदू आबादी लगभग 88 प्रतिशत थी, जो 2011 तक घटकर 66 प्रतिशत रह गई. अध्ययन में अनुमान जताया गया है कि 2051 तक यह आंकड़ा 54 प्रतिशत से नीचे जा सकता है. वहीं मुस्लिम आबादी 1961 में 8 प्रतिशत से बढ़कर 2011 में 21 प्रतिशत हो गई थी और इसके 2051 तक 30 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना जताई गई है. इन अनुमानों ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है.
वोट बैंक की राजनीति के आरोप
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. आरोप है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए इनके नाम मतदाता सूची में शामिल कराए जाते हैं. BJP का कहना है कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया और आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.
शहरी संसाधनों पर बढ़ता दबाव
रिपोर्ट में मुंबई के स्लम इलाकों का भी उल्लेख किया गया है. इसमें कहा गया है कि अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या के कारण बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं पर दबाव बढ़ रहा है. साथ ही यह भी दावा किया गया है कि कम मजदूरी पर काम करने के कारण स्थानीय श्रमिकों को रोजगार के अवसरों में नुकसान हो रहा है.
आर्थिक प्रभाव और राजनीतिक बहस
TISS की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि कुछ प्रवासी अपनी कमाई का हिस्सा विदेश भेजते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की बात कही गई है. हालांकि इन दावों को लेकर अलग-अलग राजनीतिक दलों के बीच मतभेद हैं. BMC चुनाव से पहले यह रिपोर्ट एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गई है और आने वाले दिनों में इस पर सियासी बहस और तेज होने की संभावना है.
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