सीधी हादसे में 'देवदूत' बनकर आए गांव वाले, इस तरह बचाई जान
मध्य प्रदेश के सीधी जिले में यात्रियों से भरी बस अनियंत्रित होकर नहर में जा गिरी और गहरे पानी में समा गई है, इस हादसे ने 47 जिंदगियों को निगल लिया.
highlights
- सीधी में बस नहर में गिरी, अब तक 47 शव बरामद.
- गांव के कई लोग कुछ यात्रियों के लिए मानो 'देवदूत' बनकर आए.
- सात से ज्यादा लोगों की जिंदगियां बचा ली.
सीधी:
मध्य प्रदेश के सीधी जिले में बस नहर के पानी में समा गई और 47 जिंदगियों को निगल लिया, मगर गांव के कई लोग कुछ यात्रियों के लिए मानो 'देवदूत' बनकर आए और उन्होंने सात से ज्यादा लोगों की जिंदगियां बचा ली. सतना जा रही यात्री बस मंगलवार को सुबह साढ़े सात बजे सीधी के सारदा पाटन गांव के करीब बाण सागर बांध से निकलने वाली नहर में जा समाई. इस हादसे को गांव के लोगों ने अपनी आंखों से देखा और जिसने देखा, वह नहर की तरफ दौड़ पड़ा. मौत को करीब देख रहे कुछ यात्रियों के लिए गांव से आए लोग देवदूत साबित हुए.
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मौत को सामने से देख रहे यात्रियों के लिए 18 साल की शिवरानी रक्षक बनकर सामने आई. वह बताती है कि वह अपने घर से बाहर नहर की तरफ जा रही थी, तभी देखा कि बस का संतुलन बिगड़ा और वह नहर में जा समाई. उसने लोगों को बचाने के लिए तुरंत पानी में छलांग लगा दी. यह बहादुर लड़की दो लोगों की जान बचाने में सफल हुई.
शिवरानी के भाई ने भी नहर में डूब रही बस में सवार लोगों को बचाने में जान को दांव पर लगा दिया. उसका दावा है कि उसने 11 लोगों को सुरक्षित निकाला है. उसने बस को उछलते देखा. संतुलन बिगड़ा और बस नहर में जा गिरी. बस तरह गिरी कि पिछला हिस्सा नहर में डूबा है. गांव की आशा का कहना है कि बस के बहकने के बाद पिछला हिस्सा नहर में लटका था. गांव के लेागों को आवाज लगाई और लोग जमा हुए. फिर पुलिस और प्रशासन को सूचना दी गई.
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बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मृतकों के परिजनो को पांच-पांच लाख की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है. बताया गया है कि सीधी से सतना की ओर जा रही बस में लगभग 54 यात्री सवार थे, तभी बस रामपुर थाना क्षेत्र में मंगलवार की सुबह लगभग साढ़े सात बजे बाण सागर बांध की नहर में अनियंत्रित होने के बाद जा समाई. नहर में पानी बहुत अधिक होने के कारण बस पूरी तरह पानी में डूब गई. सात यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया. वहीं बाण सागर की ओर से आने वाले पानी को रोके जाने के बाद जल स्तर कम हुआ, तब बस तक राहत और बचाव दल के सदस्य पहुंच पाए.
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