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HIV Positive children
Satna: मध्य प्रदेश के सतना जिले से एक हैरान, परेशान और डरा देने वाला मामला सामने आया है. यहां जिला अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित 3 से 15 साल के छह मासूम बच्चों को बिना अनिवार्य जांच के खून चढ़ा दिया गया, जो बाद में HIV संक्रमित पाया गया. इस गंभीर लापरवाही के चलते सभी बच्चे HIV पॉजिटिव हो गए.
माता-पिता की रिपोर्ट नेगेटिव
यह मामला जनवरी से मई 2025 के बीच का बताया जा रहा है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि महीनों तक इस सच्चाई को दबाने की कोशिश होती रही. जांच में यह साफ हो चुका है कि बच्चों के माता-पिता HIV नेगेटिव हैं और संक्रमण सिर्फ ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए फैला. सवाल उठता है कि जब हर ब्लड बैंक में स्क्रीनिंग अनिवार्य है, तो यह जानलेवा चूक आखिर कैसे हो गई?
मामले पर क्या लिया एक्शन
मामले के तूल पकड़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया. आयुष्मान भारत के सीईओ डॉ. योगेश भरसट की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई गई है. ब्लड बैंक प्रभारी और दो लैब टेक्नीशियन को निलंबित कर दिया गया है, जबकि पूर्व सिविल सर्जन को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ है. लेकिन सवाल अब भी जस का तस है क्या सिर्फ निलंबन से बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो जाएगा?
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4500 में खून का सौदा
इसी बीच जिला अस्पताल के बाहर खून की दलाली के काले कारोबार का भी खुलासा हुआ है. प्रशासन ने जाल बिछाकर ₹4500 में खून बेच रहे एक दलाल को रंगे हाथ गिरफ्तार किया, जबकि दो अन्य दलालों को भी हिरासत में लिया गया है. आशंका जताई जा रही है कि इसी नेटवर्क के जरिए एचआईवी संक्रमित खून बच्चों को चढ़ाया गया.
इस पूरे मामले ने स्वास्थ्य तंत्र की निगरानी, जवाबदेही और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. विपक्ष ने भी दोषी अधिकारियों और जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
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