इंदौर में आज आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत का संबोधन हुआ. इस संबोधन में भागवत ने सनातन की महत्ता को बताया. भागवत ने कहा कि द्वादशी का नया नामकरण हुआ है, अब प्रतिष्ठा द्वादशी कहना है. 15 अगस्त को राजनीतिक स्वतंत्रता मिल गई जो संविधान के भाव थे, उसके अनुसार चला नहीं. हमारा स्व क्या है, राम कृष्ण शिव सिर्फ हमारे देवी देवता नहीं है, राम, कृष्ण शिव भारत को जोड़ते हैं. हम मतों की और मान्यताओं की फिक्र नहीं करते. राम मंदिर आंदोलन नहीं, यज्ञ था.
भागवत ने आगे कहा,"प्रणव मुखर्जी से में मिलने गया था तब घर वापसी का मुद्दा चल रहा था. तब प्रणव मुखर्जी ने कहा था ये नहीं होता तो भारत का 30 प्रतिशत वासी आदिवासी देशद्रोही बन जाता. प्रणय मुखर्जी ने कहा था कि 5 हजार वर्षों की परंपरा ने हमको सेकुलरिज्म सिखाया. भारत की रोजी-रोटी का रास्ता भी राम मंदिर से जाता है."
'पिछले वर्ष प्राण प्रतिष्ठा हुई, कहीं कोई घटना नहीं हुई'
मोहन भागवत ने राम मंदिर के मुद्दे पर कहा, "1992 के बाद लोग पूछते थे कि कब मंदिर बनेगा. मैं तब भी कहता कि एकदम से कुछ होता नहीं है. पिछले वर्ष प्राण प्रतिष्ठा हुई, कहीं कोई घटना नहीं हुई. जैसे राज्य की हम कल्पना करते है, वैसी जगह यह सम्मान का कार्यक्रम है.अयोध्या में मंदिर बना राम का अब मन में बनना चाहिए."
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चंपत राय को दिया गया देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार
बता दें कि इंदौर में सोमवार को देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार श्री रामभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को दिया गया. उन्हें यह पुरस्कार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिया. चंपत राय विहिप नेता और श्री राम भूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव है. वे लंबे समय से राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे. इसी कार्यक्रम में भागवत ने राम मंंदिर के बारे में बात की जिसमें सनातन की मजबूती की बात थी.