मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एक बार फिर सियासी गर्माहट बढ़ने लगी है, वर्चुअल रैलियों से आगे निकलकर भाजपा अब कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचने की कवायद तेज करने वाली है. वह ग्वालियर-चंबल से विधिवत उप-चुनाव का शंखनाद करने की तैयारी में है. राज्य के 27 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उप-चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, मगर चुनाव आयोग (Election Commission) की सक्रियता के चलते इस बात की संभावना बनी हुई है कि उप-चुनाव तय समय पर हो सकते हैं. इसी के चलते भाजपा ने अपनी चुनावी तैयारियों में तेजी लाई है. भाजपा एक तरफ जहां विधानसभावार वर्चुअल रैलियां आयोजित कर रही है, वहीं अब सीधे कार्यकर्ताओं से संवाद की दिशा में भी आगे बढ़ रही है.
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आगामी समय में जिन 27 विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव होने वाले हैं उनमें से 16 क्षेत्र ग्वालियर-चंबल अंचल से आते हैं. यह क्षेत्र पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला है और भाजपा की सरकार बनाने में सिंधिया ने अहम भूमिका निभाई है. सिंधिया भाजपा में शामिल होने और राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होने के बाद पहली बार अंचल में आ रहे हैं. उनका यह तीन दिन का प्रवास 22 से 24 अगस्त तक होगा. इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी उनके साथ रहेंगे.
भाजपा सूत्रों का दावा है कि इस तीन दिवसीय प्रवास के दौरान विधानसभावार कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे और इस दौरान कांग्रेस के कई कार्यकर्ता व नेता भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे. भाजपा उप-चुनाव को लेकर काफी गंभीर है. मुख्यमंत्री चौहान ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि आने वाले चुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो की लड़ाई हैं, इसलिए हमारे कार्यकर्ताओं को भी अपने अंदर किलिंग इंस्टिक्ट पैदा करनी होगी. यह चुनाव साधारण नहीं, बल्कि सरकार को स्थाई और स्थिर बनाने का चुनाव है. हमारे पास समय कम है, इसलिए सभी लोग कैलेंडर बनाकर उसके अनुसार काम करें.
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कांग्रेस की ग्वालियर-चंबल अंचल में प्रचार-प्रसार की कमान संभाले वरिष्ठ नेता के.के. मिश्रा का कहना है कि चुनाव की आहट सुनाई देते ही सिंधिया का इस इलाके में आना हो रहा है, कोरोना संकट के दौर में तो इस क्षेत्र में आए तक नहीं. इससे साबित होता है कि उन्होंने अंचल को सियासी भूख मिटाने का हिस्सा बनाया हुआ है. वे यहां भाजपा के सदस्य बनाने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सवाल उठता है कि कोरोना को लेकर पांच माह से यहां घूम रहे हैं यमराज, तब कहां फरार थे महाराज.
ग्वालियर-चंबल अंचल के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस क्षेत्र के उप-चुनाव पूरी तरह सिंधिया के इर्द-गिर्द ही होंगे, इसलिए यह चुनाव उनके लिए काफी अहमियत वाला है. इसके चलते सिंधिया पूरा जोर लगाने से नहीं चूकेंगे, क्योंकि यहां की जीत-हार सिंधिया के भाजपा के भीतर के राजनीतिक भविष्य को तय करने वाले होंगे.