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एमपी के विधानसभा उप-चुनाव में अब 'राष्ट्रवाद' की एंट्री

एक तरफ जहां आम जनता से जुड़े किसान कर्ज माफी, बिजली बिल, मुआवजा जैसे मुद्दे राजनीतिक दल उठाने में लगे हैं, तो दूसरी ओर व्यक्तिगत हमले भी बोले जा रहे हैं. इन हमलों में अब तो बात गद्दार, बिकाऊ से आगे चलकर राष्ट्रवाद तक पहुंचने लगी है.

Updated on: 30 Sep 2020, 06:36 AM

भोपाल:

मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में तकरार तेज हो गई है. अब तो राष्ट्रवाद की भी एंट्री हो गई है और राजनीतिक दलों को राष्ट्रद्रोही और देशभक्त बताया जाने लगा है. राज्य में 28 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव होना है और यह कांग्रेस और बीजेपी के लिए जीने और मरने जैसी लड़ाई है. यही कारण है कि दोनों दल एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं. एक तरफ जहां दल-बदल का दौर जारी है, वहीं दूसरी ओर एक दूसरे को घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है.

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एक तरफ जहां आम जनता से जुड़े किसान कर्ज माफी, बिजली बिल, मुआवजा जैसे मुद्दे राजनीतिक दल उठाने में लगे हैं, तो दूसरी ओर व्यक्तिगत हमले भी बोले जा रहे हैं. इन हमलों में अब तो बात गद्दार, बिकाऊ से आगे चलकर राष्ट्रवाद तक पहुंचने लगी है. राज्य सरकार की मंत्री ऊषा ठाकुर ने तो बीजेपी को राष्ट्रवादी और कांग्रेस को राष्ट्र विरोधी विचारधारा करार देते हुए कहा, बीजेपी और कांग्रेस के बीच वैचारिक युद्ध है. ये देशभक्त और देशद्रोही के बीच का चुनाव है जिनको राष्टवादिता से प्रेम था, वे बीजेपी के साथ हैं, जो राष्ट्रवाद से विमुख हुए वे कांग्रेस में चले गए.

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कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा है कि यह तो देश जानता है कि देशभक्त और देशद्रोही कौन है, वास्तविकता यह है कि भाजपा जनता का वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की बयानबाजी करती है. आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव में उसे हार नजर आ रही है, लिहाजा वे जनता का ध्यान बांटने के लिए स्तरहीन बयान दे रही है, जनता सब जानती है और उप-चुनाव में सबक मिलेगा भाजपा को.

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राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि उप-चुनाव में तल्खी रहेगी, इस बात के संकेत तो अभी से बयानबाजी में ही नजर आ रहे है. कांग्रेस छोड़कर गए पूर्व विधायकों को जहां कांग्रेस बिकाऊ, गद्दार कह रही है, वहीं भाजपा भी नए नारों और मुद्दों को गढ़ेगी ही. कुल मिलाकर आने वाले दिनों में बहुत कुछ नया सुनने को मिलेगा, क्योंकि मतदाताओं को अपने जाल में फंसाना तो राजनीतिक दलों का लक्ष्य है.

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मालूम हो कि राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव होने वाले हैं. इन चुनाव में भाजपा को जहां पूर्ण बहुमत पाने के लिए नौ स्थानों पर जीत हासिल करनी है, वहीं कांग्रेस को सभी 28 स्थानों पर जीत जरुरी है. विधानसभा में कुल सदस्य संख्या 230 की है, पूर्ण बहुमत के लिए 116 सदस्य होना जरुरी है. वर्तमान में बीजेपी के पास 107 और कांग्रेस के पास 89 सदस्य ही हैं. वहीं चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा का विधायक है.